Friday 29 May 2020

सम्मान पाना चाहते है तो इन नियमो को अपनाए


apni value kaise badhaye

दोस्तो इस दुनिया मे हर एक इंसान चाहता है कि लोग उसका सम्मान करे। हम सभी बचपन से यह बाते सुनते आ रहे है कि सम्मान पाने के लिए अच्छे काम करो। यह बात तो सही है कि हमे अच्छे काम करने चाहिए। लेकिन सम्मान पाने के लिए इसके अलावा भी कई बाते ऐसी होती है जो हमे नही बताई जाती और उन सभी बातों को हम अपने दैनिक जीवन मे लोगो के व्यवहार से सीखते है। आइये जानते है वो कौन सी बाते है जिनका प्रयोग करने से लोग आपको शक्तिशाली समझते है और आपका सम्मान करते है।            

1.तिरस्कार का नियम अपनाए-  किसी भी व्यक्ति या वस्तु के प्रति ज्यादा झुकाव आपको नुकसान दे सकता हैं। आप किसी चीज को जितना ज्यादा चाहते हैं, आप उसका उतना ज्यादा पीछा करते हैं और वह आपसे उतनी ही दूर भागती है। आप जितनी ज्यादा रुचि दिखाते हैं आपकी इच्छित वस्तु उतनी ही दूर रहती है। इसका कारण यह है कि आप उस वस्तु को पाने के लिए तरस रहे है।

आपके ऐसे व्यवहार को देखकर लोग अजीब महसूस करते हैं और कई बार तो डर भी जाते हैं। ऐसी सितथि मे आप कमजोर, हारे हुए और दयनीय नजर आते हैं। इसलिए अच्छा यह होगा कि आप जिस चीज को चाहते हैं उसमें रुचि ना दिखाएं। इसके बजाय उसके प्रति तिरस्कार और नफरत दिखाएं। ऐसा करने से इतना जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा कि आपके शिकार पगला जाएंगे और वो आपको प्रभावित करने या आपको हासिल करने या आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे। अब यदि आप उन्हे हासिल करना चाहते हैं तो आपने उन्हे अपनी तरफ आकर्षित करने का पहला कदम सफलतापूर्वक उठा लिया है।

अगर वह आप को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं तो आपने उन्हें विचलित कर लिया है और अपने नियमों के हिसाब से खेलने पर मजबूर कर दिया है। क्योंकि तिरस्कार करना राजा का विशेष अधिकार है। उसकी निगाह जिधर जाती है, वह जिस चीज की तरह देखने का निर्णय लेता है, वही जीवित है। वह जिस चीज को नजरअंदाज करता है या जिसकी तरफ पीठ कर फिर लेता है वह मुर्दा है। यह रूस के सम्राट लुई का नियम था। अगर वह किसी को पसंद नहीं करता था तो वह ऐसा अभिनय करता था। जैसे वह व्यक्ति वहां हो ही नहीं। वह दूसरों से बात करते समय उस आदमी को नजरंदाज करके अपनी श्रेष्ठता बनाए रखता था। जब आप तिरिस्कार के नियम का इस प्रकार से इस्तेमाल करते हैं तो आप समय-समय पर लोगों को दिखा देते हैं कि उनके बिना भी आपका काम चल सकता है। इससे आपको शक्ति मिलती है।  

लेकिन ध्यान रहे अगर नजर अंदाज करने से आपकी शक्ति बढ़ती है तो इसके विपरीत नीति यानी अधिक ध्यान देने से आप अक्सर कमजोर होते हैं। अगर आप किसी पिद्दी दुश्मन की तरफ ज्यादा ध्यान देंगे तो आप भी पिद्दी दिखने लगेंगे और इस तरह के दुश्मन को कुचलने में आपको जितना ज्यादा समय लगेगा दुश्मन उतना ही ड़ा लगने लगेगा।

दूसरा खतरा अगर आप चिढ़ाने वाले को कुचल देते हैं या घायल कर देते हैं तो इससे लोगों के मन में कमजोर पक्ष के लिए सहानुभूति उत्पन्न हो जाती है और वे आपको ही कोसने लगते है।

आपके लिए बेहतर होगा जब कोई पिद्दी व्यक्ति आप पर हमला करें तो लोगों का ध्यान दूसरी तरफ मोड़ दें। इस तरह दर्शाये कि आपको उस हमले का अहसास ही नहीं हुआ है। दूसरी तरफ देखें या मीठे अंदाज में जवाब दें और यह दिखाएं कि हमले का आप पर असर ही नहीं हुआ है।

  

2. छोटी छोटी गलतियो पर कार्यवाही करना- अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करना बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन हम जितनी ज्यादा कोशिश करेंगे स्थिति उतनी ही बिगड़ जाएगी। कई बार गलतियों को जैसे का तैसा छोड़ देना ही ज्यादा कूटनीतिक तरीका होता है। समस्या पर ध्यान केंद्रित करने की गलती ना करें। क्योंकि समस्या के कारण आप चिंता और तनाव में आ जाते हैं।

48 laws of power book  के लेखक रोबर्ट ग्रीन बताते है कि एक बार अमेरिका मे जॉर्ज बर्नार्ड ने मशहूर बिज़नस मैन जीके चेस्टर्टन के आर्थिक विचारों की अखबार में धज्जियां उड़ा दी। इस पर जीके चेस्टर्टन के मित्र उनके जवाब का इंतजार करने लगे। लेकिन उन्होने कोई एक्शन नही लिया. जार्ज के खिलाफ एक्शन न लेने पर उनके दोस्तो ने उन्हे कोसा। इस पर जीके चेस्टर्टन ने अपने दोस्तो से कहा कि प्रिय मित्रो मैंने उसे जवाब दे दिया है, जॉर्ज बर्नार्ड जैसे घटिया आदमी के लिए खामोशी ही सबसे करारा जवाब है।

दोस्तो यह सीखे कि तिरस्कार के खेल को कैसे खेला जाता है। यह प्रतिशोध की सबसे बड़ी कूटनीतिक चाल है। बहुत से लोग गुमनाम ही रह जाते अगर उनके प्रतिष्ठित विरोधियों ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया होता। गुमनामी जैसा कोई प्रतिशोध नहीं है। क्योंकि यह नाकाबिल लोगों की कब्र है जो अपनी बनाई शून्यता की मिट्टी में मिल जाते हैं।

एक अन्य उद्धहरण मे औथर समझाते है कि शरीर का घाव जब छोटा होता है तो यह कष्टकारी और परेशान करने वाला होता है। उस समय आप हर तरह की दवाई अजमाते हैं, शिकायत करते हैं खुजाते हैं। डॉक्टर इसे और बिगाड़ देते हैं। वह एक छोटे से घाव को गंभीर समस्या में बदल देते हैं। अगर आपने घाव पर ध्यान ही नहीं दिया होता तो समय इसे भर देता और आपको चिंता भी नहीं होती। इसी प्रकार छोटी छोटी गलतियो पर ध्यान न देना ही बेहतर होता है।   

 

इसी तरह जब आप कोई बड़ी गलती कर दें तो सबसे अच्छी प्रतिक्रिया यह होती है कि आप गलती को हल्के अंदाज में लेकर उसकी गंभीरता को कम कर दें। याद रखें छोटी-छोटी दिक्कतों और समस्याओं पर सबसे शक्तिशाली प्रतिक्रिया यही है कि आप नजरंदाज करने का नियम अपनाये। समझदारी इसी में है कि आप समस्या के अस्तित्व को ही स्वीकार ही ना करें। दूसरों के सामने यह ना दिखाएं कि आप पर कोई असर हुआ है या आपने बुरा माना है। क्योंकि यदि उस समय आप दूसरों के सामने अपने गुस्से और तनाव का प्रदर्शन करेंगे तो इससे तो सिर्फ यह नजर आता है कि आपने समस्या को स्वीकार कर लिया है।

 

3. खट्टे अंगूर वाली नीति - मान लीजिए आप किसी इंसान या चीज को चाहते हैं। लेकिन आप जानते हैं कि वह आपको नहीं मिल सकती ऐसे में आप सबसे बुरा काम यह कर सकते हैं कि आप दुखी होते है और लोगो को इसके बारे मे बताते है। ऐसा करने पर हो सकता है कि उस समय लोग आपके ऊपर दया करे और उस इंसान या वस्तु के लिए कुछ बुरे शब्दो का प्रयोग करे ताकि आपको अच्छा लगे। लेकिन बाद मे वही लोग आपका मज़ाक उड़ाते है और एक दूसरे से आपके बारे मे बाते करके कहकहे लगाते है ।      

इसलिए बेहतर यह होगा कि आप इस तरह व्यवहार करें जैसे आपकी दरअसल उस चीज में जरा भी रुचि ना थी, ना है और ना ही रहेगी। उसके बिना आपको कोई फर्क ही नही पड़ता। ऐसा दिखाये की वह आपके लायक ही नही थी।       

 

 

 

 


Sunday 24 May 2020

दूसरों से काम निकलवाने और धोखे से कैसे बचे


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दोस्तों आज के आधुनिक युग में दूसरों से किस प्रकार से काम निकलवा
या जाता है और धोखे से कैसे बचा जाता है। इसे हम शक्ति के 48 नियम बुक से सीखेंगे। इस पोस्ट में मैं आपको शक्ति के 48 नियम से 5 नियम बताऊंगा जिसमे आपको पता चलेगा कि आज के आधुनिक युग में दूसरों से अपना काम कैसे निकलवाया जाता है और अपने शत्रुओ को कैसे वश में किया जाता हैं।  

1.दूसरों को अपने पास बुलाये और जरूरत पड़ने पर दाना भी डालें- जब आप दूसरे व्यक्ति को कोई काम करने के लिए मजबूर करते हैं तो नियंत्रण आपके हाथ मे होता है। हमेशा ज्यादा अच्छा यही होता है कि आपका विरोधी आपके पास आए और इस प्रक्रिया में अपनी योजनाएं छोड़ दे। बहुत बड़ा प्रलोभन देकर उसे ललचाए फिर उस पर हमला कर दें। आपकी जीत के 100 प्रतिशत chances होते है। 

यहां पर ऑथर बताते हैं उन्नीसवीं सदी के मशहूर निवेशक डेनियल शेयर बाजार के मंजे हुए खिलाड़ी थे। जब वे चाहते थे कि बाकी लोग किसी खास कंपनी के शेयर खरीदे या बेचे तो वे कभी भी लोगो को सीधे सीधे उस कंपनी के शेयर खरीदने के लिए नही कहते थे बल्कि वे बड़ी चालाकी से काम करते थे। वह स्टॉक एक्सचेंज के रास्ते में पड़ने वाले एक कलमें जाकर कहते थे कि उन्हें जल्दी ही स्टॉक एक्सचेंज पहुंचना है। फिर वह अपना पसीना पोछने के लिए लाल रुमाल निकालते थे। इस रुमाल से एक कागज गिरता था लेकिन वे उसके गिरने पर ध्यान नहीं देते थे। क्लब के सदस्य हमेशा डेनियल के कदमों को भाने की कोशिश करते रहते थे। इसलिए उनके जाने के बाद वह लपक कर उस कागज़ को उठा लेते थे। उस कागज में किसी कंपनी के शेयर के बारे में गोपनीय जानकारी लिखी रहती थी। बात फैल जाती थी और सदस्य जानकारी के आधार पर धड़ाधड़ वे शेयर खरीदने बेचने लगते थे। इस तरह वे निवेशक डेनियल के हाथों का खिलौना बन जाते थे।

शक्ति के इस खेल मे हर चीज इस बात पर निर्भर करती है कि आप जो दाना डाल रहे हैं वह कितना मीठा है। अगर आपका जाल आकर्षक है तो आपके दुश्मनों की इच्छाओं और भावनाओं की उलझन उन्हें सच्चाई नहीं देखने देगी। उनका लोजितना बढ़ेगा उन्हें उतना ही घुमाया जा सकता है।  
उदाहरण के लिए शहद लगा भालू का फंदा- भालू का शिकारी अपने शिकार के पीछे दौड़ नहीं लगाता है। अगर भालू को यह पता चल जाए कि उसका पीछा किया जा रहा है तो उसे पकड़ना लगभग असंभव होता है और मान लीजिए अगर किसी ने उसे पकड़ भी लिया तो भालू हिंसक हो जाएगा। इसलिए शिकारी भालू का पीछा नहीं करता है। इसके बजाय शिकारी फंदे में शहद लगा देता है। वह भालू का पीछा करके खुद को थकाता नहीं है। वह भालू के पीछे भाग कर अपनी जान जोखिम में नहीं डालता है। वह तो बस फंदा तैयार कर देता है और फिर इंतजार करता है।  

Author  बताते है कि अच्छे योद्धा कभी दूसरों के पास नहीं जाते हैं बल्कि दूसरों को अपने पास आने के लिए मजबूर कर देते हैं। यह दूसरों के खालीपन और खुद के भरे होने का सिद्धांत है। जब आप अपने विरोधियों को अपने पास आने के लिए प्रेरित करते हैं तो उनकी शक्ति हमेशा खाली होती है। जब तक आप उनके पास नहीं जाते तब तक आपकी शक्ति हमेशा भरी होती है। खालीपन पर हमला करना अंडे पर पत्थर मारने की तरह है

2. बहस से नहीं अपने कामों से जीते- जब आप किसी से बहस मे जीतते है तो बहस से मिलने वाली विजय कुछ देर के लिए और दरअसल खोखली होती है। इससे सामने वाले के विचार नहीं बदलते हैं इसके बजाय उसके मन में द्वेष और दुर्भावना उत्पन्न होती है जो काफी समय तक कायम रहती है। कुछ बोले बिना अपने कार्यों से दूसरों को प्रभावित करना बहुत ज्यादा असरदार होता है बोले नहीं बल्कि काम करके दिखा दे।  

Author बताते हैं कि 1688 में रेन ने मेयर के लिए एक शानदार टाउन हॉल डिजाइन किया। लेकिन मेयर उससे संतुष्ट नहीं थाउसने रेन से कहा कि दूसरी मंजिल सुरक्षित नहीं है और यह पहली मंजिल पर बने उसके ऑफिस पर कभी भी गिर सकती है। उसने रेन से कहा कि वह अतिरिक्त सहारे के लिए पत्थर के दो खंबे और लगा दे। रेन बहुत ही कुशल इंजीनियर थे। वह अच्छी तरह जानते थे कि खंभे लगाने का कोई मतलब नहीं है और मेयर का डर निराधार है। लेकिन उन्होंने खंबे लगा दिए जिससे मेयर बहुत खुश हो गया। कुछ साल बाद जब कुछ मजदूर साफ सफाई करने के लिए ऊंची नसेनी पर चढ़े तब जाकर पता चला की वे खंबे छत को सहारा नहीं दे रहे थे बल्कि उससे थोड़ी दूरी पर ही खत्म हो गए थे। यह सिर्फ देखने के लिए लगाए गए थे लेकिन इससे दोनों ही लोगों को वह मिल गया जो वे चाहते थे। मेयर को तसल्ली हो गई और रेन जानते थे कि भावी पीढ़ियां समझ लेंगी कि उनकी मूल डिजाइन सही थी और खंभे की जरूरत नहीं थी। इस प्रकार काम के माध्यम से अपने विचार प्रकट करने से आपके विरोधी हार जाते हैं और आसानी से आपकी बात मान जाते हैं।

एक अन्य उदहारण मे Author बताते हैं जब मिस्त्र मे ऐप्रियस को गद्दी से उतार दिया गया तो अमेसिस सिहासन पर बैठा। वह सईस जिले का था और गरीब कस्बे का निवासी था। पहले तो मिस्र के नागरिक उसका सम्मान नहीं करते थे क्योंकि वह गरीब घर से आया था और उसने अपना कैरियर बहुत निचले स्तर से शुरू किया था। मिस्र के नागरिकों का सम्मान पाने के लिए उसने सख्त कदम नहीं उठाए बल्कि चतुराई से उन्हें अपने पक्ष में कर लिया। उसकी बहुत सी संपत्तियों में से एक था पैर धोने का वह स्वर्ण पात्र जिसमें वह और उसके अतिथि खास अवसरों पर अपने पैर धोते थे। उसने इसे तोड़वाकर एक देवता की सोने की मूर्ति बनवाई और उसे शहर की सबसे अच्छी जगह पर लगवा दिया। मित्र के नागरिक मूर्ति का सम्मान करने लगे। जैसे ही अमेसिस ने यह सुना उसने एक सभा आयोजित की। सभा में उसने यह बताया कि यह सम्मानित मूर्ति कभी उसके पैर धोने का पात्र थी। जिसमें लोग अपने पैर धोते थे, कुल्ला करते थे और गंदगी साफ करते थे। उसने कहा कि उसका हाल भी मूर्ति की तरह ही है क्योंकि वह भी कभी एक साधारण व्यक्ति था और अब सम्राट बन गया है। उसने कहा कि अच्छा यही रहेगा कि जिस तरह लोग पैर धोने के पात्र का सम्मान करने लगे हैं उसी तरह उसका भी सम्मान करने लगे। इस तरह मित्र के नागरिक उसे अपना स्वामी मारने के लिए तैयार हो गए। इसी प्रकार अगर आपका लक्ष्य शक्ति पाना या उसे सुरक्षित रखना है तो हमेशा आसान और गुप्त मार्ग खोजें और युद्ध का मैदान सावधानी से चुने।

3.संक्रमण- दुखी और बदकिस्मत लोगों से बचें- आप किसी दूसरे के दुख से मर सकते हैं। भावनात्मक अवस्थाएं बीमारियों की तरह ही संक्रामक होती हैं। हो सकता है आपको लगे कि आप डूबते आदमी की मदद कर रहे हैं लेकिन यह याद रखें कि ऐसा करके आप सिर्फ अपनी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। बदकिस्मत लोग बदकिस्मती को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। अगर आप उनकी मदद करेंगे तो बदकिस्मती आपकी तरफ भी आकर्षित हो जाएगी।

Author अपनी बात को एक कहानी के द्वारा समझाते है । एक बार एक कौआ एक बीज को अपनी चोंच में दबाकर घंटाघर के ऊपर से ले जा रहा था। तभी बीज उसकी चौसे फिसल गया और घंटाघर के नीचे की दरार में गिर गया। बीज मरते मरते बच गया। उसने घंटाघर की दीवार से आग्रह किया कि उसकी रक्षा करें। उसने ईश्वर की कृपा का वास्ता दिया और दीवार की ऊंचाई, सुंदरता तथा उसके घंटे की आवाज की तारीफ के पुल बांधने लगा। उसने कहा अफसोस कि मैं अपने पिता के पेड़ों की हरी शाखाओं के नीचे नहीं गिरा। अफसोस कि मैं ऐसी जमीन पर नहीं गिरा जो पत्तियों से ढकी हो। लेकिन कम से कम आप तो मुझे सहारा दे दो। जब मैं उस दुष्ट कौए की चोच में था तो मैंने कसम खाई थी कि अगर मैं बच गया तो अपनी बाकी जिंदगी एक छोटे से छेद में गुजार दूंगा। यह शब्द सुनकर दीवार को तरस आ गया और उसने उसको वहीं पर शरण दे दी जहां वह गिरा था। कुछ ही समय में बीज की जड़े निकल आई। ये दीवार के नीचे पत्थरों के बीच में सेंध लगाने लगी और उन्हें दूर खिसकाने लगी। पेड़ की शाखाएं भी आसमान की तरफ बढ़ने लगी। जल्दी ही वह पेड़ घंटाघर से ज्यादा बड़ा हो गया और उसकी गुंथी हुई जड़ें इतनी मोटी हो गई कि दीवार को खिसकाने लगी और पुराने पत्थरों को उनकी जगह से दूर हटाने लगी। बहुत देर बाद जाकर दीवार को होश आया कि दया के कारण उसने अपने ही विनाश को आमंत्रित कर लिया है। लेकिन अफसोस करने से कोई फायदा नहीं था क्योंकि कुछ ही समय बाद दीवार गिर गई।

इसलिए सुखी और खुश किस्मत लोगों के साथ रहे। इस बात को समझ ले कि शक्ति के खेल में यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप कैसे लोगों के साथ जुड़ते हैं। बुरा प्रभाव डालने वालों के साथ जुड़ने में जोखिम यह है कि आप अपना बहुमूल्य समय और ऊर्जा बर्बाद करेंगे। इसके अलावा लोग जब आपको ऐसे लोगों के साथ उठता बैठता देखेंगे तो आपके बारे में भी उनकी राय अच्छी नहीं होगी। कभी भी बुरे प्रभाव के खतरों को कम ना आंके। बुरे प्रभाव का सिर्फ एक ही समाधान है बचकर रहो।  

खतरा यह है कि बुरे प्रभाव डालने वाले यह लोग अक्सर ऐसा अभिनय करते हैं कि दोष उनका नहीं है बल्कि परिस्थितियों का है इसलिए शुरुआत मे यह देखना मुश्किल होता है कि उन्होंने दुखों को खुद आमंत्रित किया है। जब तक आप समस्या की हकीकत जान पाते हैं तब तक अक्सर बहुत देर हो चुकी होती है। आप इस तरह के खतरनाक संक्रमण से खुद को कैसे बचा सकते हैं जवाब यह है कि आप लोगों का मूल्यांकन इस बात से ना करें कि वे अपनी समस्याओं का क्या कारण बताते हैं बल्कि इस बात से करें की दुनिया पर उनका क्या प्रभाव पड़ता है। बुरा प्रभाव डालने वालों को इन बातों से पहचाना जा सकता है कि वह दुर्भाग्य को आमंत्रित करते हैं। उनका अतीत बहुत उथल-पुथल वाला होता है। बहुत से लोगों से उनके संबंध टूट जाते हैं। उनके कैरियर अस्त व्यस्त होते हैं। उनके चरित्र में एक खतरनाक शक्ति होती है। जिससे प्रभावित होकर आप अपनी तर्क शक्ति खो देते हैं। बुरा प्रभाव डालने वालों की इन विशेषताओं को देखकर पहले से ही सचेत हो जाएं। उनकी आंखों में असंतुष्टी के भावों को देखना सीखे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन पर तरस ना खाएं और उनकी मदद करने की कोशिश में खुद को ना उलझ जाएं। बुरा प्रभाव डालने वाले के पास से दूर भाग जाए वरना आपको इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।  

4.मांगते समय दया या कृतज्ञता की नहीं बल्कि स्वार्थ की दुहाई दे- अगर आपको किसी साथी की मदद चाहिए तो उसे यह याद ना दिलाएं कि आपने पहले कभी उसकी कितनी मदद की है या उसके लिए कितने अच्छे काम किए हैं। अगर आप ऐसा करेंगे तो वह आप को नजरअंदाज करने का कोई ना कोई तरीका खोज ही लेगा। इसके बजाय अपने आग्रह में किसी ऐसी चीज की तरफ इशारा कर दें। जिससे उसे लाभ होगा। इस लाभ को बढ़ा चढ़ाकर जोर-शोर से बताएं। जिससे उसे यह लगेगा कि आपकी मदद करने के कारण उसका भला हो सकता है तो वह पूरे उत्साह से आपकी मदद करेगा।
यहां पर Author  एक उदाहरण के द्वारा समझाते हैं कि एक देहाती के बगीचे में सेब का पेड़ था।  जिसमें फल नहीं लगते थे। उस पर सिर्फ गौरैया और टिड्डे ही बैठते थे। उसने पेड़ काटने का फैसला किया और हाथ में कुल्हाड़ी लेकर इसकी जड़ों पर प्रहार करने लगा। टिट्डे और गोरइया ने उससे आग्रह किया कि वे उस पेड़ को ना काटे क्योंकि वह उन्हें शरण देता है। उन्होंने कहा कि वह गीत गाकर उसकी थकान कम कर देंगे। लेकिन उस देहाती ने उनके आग्रह पर कतई ध्यान नहीं दिया और पेड़ पर प्रहार करता रहा। जब वह पेड़ के कोटर तक पहुंचा तो उसे वह मधुमक्खियों का छत्ता दिखा जिसमें बहुत सा शहथा। शहद चखने के बाद उसने अपनी कुल्हाड़ी दूर फेंक दी और पेड़ की बहुत अच्छी देखभाल की। Author समझाते है कि स्वार्थ से ही बहुततेरे लोग प्रेरित होते हैं। ज्यादातर लोग खुद में इतने ज्यादा डूबे रहते हैं कि उन्हें अपने अलावा किसी चीज में सच्ची रूचि नहीं होती है। जब भी कोई उनसे बात करता है तो वह हमेशा इस बारे में सोचते हैं कि इस बात से उन्हें किस तरह लाभ हो सकता है। अगर उन्हें अपना कोई फायदा नजर आता है तो वह पूरे ध्यान से सुनने लगते हैं चाहे उस बात से उनके लाभ का बहुत दूर का संबंध हो।

5.मित्रों की तरह दिखे लेकिन काम जासूस की तरह करें- अपने प्रतिद्वंदी के बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण है। उसकी जानकारी इक्कठी करने के लिए जासूसों का इस्तेमाल करें ताकि आप उससे एक कदम आगे रह सके। इससे भी अच्छा तरीका यह है कि आप खुद भी जासूस की भूमिका निभाए।  सामाजिक समारोह जैसे मौकों पर सतर्क रहें। इस समय लोगों का रक्षा तंत्र कमजोर होता है। इसलिए लोगों से बातचीत करके आप उनसे मनचाही बातें उगलवा सकते हैं। यह रणनीति इतनी जबरदस्त है कि आपकी रुचि को गलती से आपकी दोस्ती मालेंगे। इस तरह आपको ना सिर्फ सामने वाले की भेद मालूम चलेंगे बल्कि आप उन्हे अपना समर्थक भी बना लेंगे। बहरहाल इस रणनीति का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। अगर लोगों को यह शक हो जाए कि आप बातचीत के बहाने उनसे भेद उगलवा रहे हैं तो वे आपसे तराने लगेंगे। इसलिए मूल्यवान जानकारी पर नहीं बल्कि दोस्ताना बातों पर जोर दें। जानकारी के तत्वों की तलाश को बहुत ही स्पष्ट ना होने दें। वरना आपके सवालों से सामने वाला आपके इरादे भांप लेगा और आपको आपकी मनचाही जानकारी नहीं मिल पाएगी।

अगर आपको यह शक हो रहा हो कि कोई व्यक्ति आपसे झूठ बोल रहा है तो इस तरह का नाटक करें जैसे आपको उसके हर शब्द पर भरोसा है इससे से आगे बोलने का साहस मिलेगा और वह ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर बताने के चक्कर में अंत में धोखा खाएगा।

इसी तरह अगर आपको ऐसा लगे कि कोई व्यक्ति आपसे कुछ छुपाने की कोशिश कर रहा है तो इस तरह का नाटक करें जैसे आपको उसकी बातों पर यकीन नहीं है। इससे वह आपके विरोध में उत्तेजित हो जाएगा और आपको भरोसा दिलाने के लिए सच्चाई उगल देगा। 

Thursday 21 May 2020

जब कोई आपका अपमान करे तो क्या करे (48 laws of power book summary in hindi)


This video related to book 48 laws of power. Mr. Robert Greene Author of this book.He wrote 48 powerful laws in this book which is used by the clever people to do work from others. This is most effected rules in this modern time. He tells us how to do work from others and how to win from our Enemies. Many people use this rules carefully.

Tuesday 19 May 2020

हर सफल आदमी इन नियमो को अपनाता है

how-to-get-success-in-life


दोस्तों शक्ति के 48 नियम बुक से यह पाँचवा विडियो है इस विडियो मे यह जानेंगे की हम किन कारणों से अपनी जिन्दगी मे असफ़ल होते है और हमारी सफलता मे आने वाली रुकावटों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है और ह्म यह भी सीखेंगे की इस दुनिया मे आपको किस प्रकार का व्यवहार अपनाना चाहिए ताकि लोग आपको शक्तिशाली समझे और आपका सम्मान करे.   

1.बहादुरी के साथ काम करने उतरे- अगर आपको किसी काम में सफलता मिलने का यकीन नहीं है तो उसे करने की कोशिश ना करें. आपकी शंका और हिचक इसकी सफलता में बाधा डालेगी. संकोच खतरनाक है बेहतर यह है कि बहादुरी से मैदान में उतरा जाए. साहसिक गलतियों को ज्यादा साहस दिखाकर सुधारा जा सकता है. हर व्यक्ति बहादुर व्यक्ति की प्रशंसा करता है कोई भी कायर का सम्मान नहीं करता है.

आपकी कमजोरियों को मापने के बारे में लोगों की छठी इंद्रिय होती है. अगर पहली मुलाकात में ही आप समझौता करने, पीछे हटने और भागने की इच्छा दिखाते हैं तो आप उन लोगों के अंदर छिपे शेर को भी बाहर निकाल देते हैं जो खून के प्यासे नहीं होते हैं. कमजोर से कमजोर आदमी भी आपके उपर हावी हो जाएगा. सब कुछ आपके व्यवहार पर निर्भर करता है. अगर एक बार आपकी ऐसी छवि बन गई कि आप तत्काल डर जाते हैं और समझौते में हर शर्त मान लेते हैं तो आपको बेरहमी से चारों तरफ से धकेला जाएगा. इसलिए हमेशा सबसे अच्छा यह होता है कि आप बहादुरी की छवि बना ले.
उधहारन के लिए शेर अपने काम में कोई चूक नहीं करता है. उसकी हरकतें बहुत तेज होती हैं. उसका जबड़ा बहुत शक्तिशाली होता है. कायर खरगोश खतरे से बचने के लिए चाहे कुछ भी कर ले लेकिन भागने की जल्दी में यह उसके जाल में फंस जाता है और अपने शत्रु के जबड़े में पहुंच जाता है.

AUTHOR कहते है कि मैं निश्चित रूप से सोचता हूं कि सावधान होने की बजाय साहसी होना बेहतर है क्योंकि तकदीर एक महिला है और अगर आप उसके स्वामी बनना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि आप उसे शक्ति द्वारा जीते. साफ दिखता है कि तकदीर बहादुर लोगों के अधीन रहती है. जबकि कायर लोगों के पास भी नहीं फटकती है. इसलिए महिला की तरह तकदीर भी हमेशा युवाओं की चहिती होती है क्योंकि वे कम सावधान और ज्यादा उत्साहित होते हैं तथा वे ज्यादा साहस दिखाकर उसके स्वामी बन जाते हैं.

2.अंत तक पूरी योजना बनाएं- अंत ही सब कुछ है. काम को शुरू करने से अंत तक पहुंचने की पूरी योजना बनाएं. उन सभी संभावित परिणामों बाधाओं और किस्मत के उतार-चढ़ाव पर विचार करें, जो आपकी कड़ी मेहनत पर पानी फेर सकते हैं और उसका श्रेय दूसरों को दे सकते हैं. अंत तक की योजना बनाने से आप परिस्थितियों के शिकार नहीं होंगे और यह जान जाएंगे कि कब रुकना है. किस्मत को धीरे से राह दिखाएं और बहुत आगे तक विचार करके अपने भविष्य को तय करें. क्योंकि ज्यादातर लोग वर्तमान में कैद रहते हैं. इसलिए वे इस तरह की दूरदर्शिता पूर्ण योजना नहीं बना पाते. इसी कारण जब कोई तत्कालिक खतरों और आनंदो को नजरअंदाज करता है तो वह शक्तिशाली बन जाता है. घटनाएं होने पर प्रतिक्रिया करना स्वाभाविक मानवीय गुण है. घटनाओं को पहले से भांपकर योजना बनाना शक्ति की निशानी है. वर्तमान से आगे तक पहुंचकर बड़ी चीजों का अनुमान लगाना या कल्पना करना मानवीय नहीं, देवी काम लगता है.

लोगों की गलतियों का सबसे आम कारण यह होता है कि वे वर्तमान के खतरों से बहुत ज्यादा डरते हैं और दूर के खतरों से जरा भी नहीं डरते हैं जो खतरे दूर होते हैं या दूर दिखते हैं अगर हम उन्हें पहले से ही भाप लें तो हम बहुत सारी गलतियों से बच सकते हैं. अगर हमें यह एहसास हो जाए कि हम एक छोटे खतरे से बचकर एक बड़े खतरे की तरफ जा रहे हैं तो हम अपनी योजना को तत्काल बदल सकते हैं. शक्ति की अवधारणा में सिर्फ यही शामिल नहीं है कि आप क्या करते हैं बल्कि यह भी शामिल है कि आप क्या नहीं करते हैं. जल्दबाजी और मूर्खतापूर्ण कामों से बचना बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिनके कारण आप मुश्किल में फंस सकते हैं. काम करने से पहले विस्तार से योजना बना लें. अस्पष्ट योजनाओं के कारण मुश्किल में ना फंसे.

यहां पर Author एक कहानी के द्वारा अपनी बात को समझाते हैं. एक बार दो मेंढक एक ही पोखर में रहते थे. पोखर गर्मी के कारण सूख गया इसलिए वे उसमें से निकलकर दूसरे ठिकाने की तलाश में चल पड़े. वे एक गहरे कुएं के पास से गुजरे जहां काफी पानी था. यह देखकर एक मेंढक दूसरे से बोला हम कूदकर इस कुएं में रहने लगते हैं इससे हमें आश्रर्य और भोजन मिलेगा. दूसरे ने सावधानी से जवाब दिया लेकिन मान लो इसका पानी सूख गया तो क्या होगा ? हम इतने गहरे कुएं से बाहर कैसे निकल पाएंगे. इसलिए परिणामों के बारे में सोचे बिना कुछ भी ना करें.

3.अपनी उपलब्धियों को आसान दिखाएं- आपके काम सहज नजर आने चाहिए. जैसे आपने उन्हें आसानी से कर दिया हो. आपके काम में जितनी मेहनत कोशिश और चतुर चाले लगी हैं उन्हें छिपाया जाना चाहिए. जब दुसरो को ऐसा लगता है कि आपने बिना खास कोशिश के काम कर दिया है तो लोगो के दिमाग मे यह छवि बनती है कि आप अगर कोशिश करें तो बहुत ज्यादा काम कर सकते हैं.
आप कितनी कड़ी मेहनत करते हैं यह बताने के प्रलोभन से बचें. क्योंकि इससे सिर्फ सवाल उठते हैं. किसी को भी अपनी चाले न सिखाएं. वरना उनका प्रयोग आपके ही के खिलाफ किया जाएगा. हम सब में अपना गुणगान करने की प्रवृत्ति होती है. हम सभी दुनिया को बताना चाहते हैं कि हमने क्या किया है. हम सब अपनी मेहनत और चतुराई की तारीफ सुनकर अपने गर्व को संतुष्ट करना चाहते हैं. हम उस मेहनत के लिए भी सहानुभूति पाना चाहते हैं जो हमें अपनी कला के चरम बिंदु तक पहुंचने में लगी. अपने रहस्य उजागर करने की इस आदत पर काबू रखें. क्योंकि इसका प्रभाव अक्सर आपकी आशा के विपरीत होता है. 

याद रखें आपके काम जितने रहस्य में होंगे लोग उतना ही ज्यादा सम्मान करेंगे. ऐसा नजर आएगा जैसे आप ही वह काम कर सकते थे और किसी अनूठी प्रतिभा का धनी दिखना बहुत शक्तिशाली होता है. क्योंकि आपने सहजता और आसानी से उपलब्धि हासिल की है इसलिए लोगों को यह विश्वास होता है कि अगर आप ज्यादा मेहनत करते तो आप ज्यादा सफलता हासिल कर सकते थे. इससे ना सिर्फ प्रशंसा मिलती है बल्कि दुसरो के अंदर एक तरह का डर पैदा होता है कि आपकी शक्तियों का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं हुआ है. इससे किसी को भी आपकी शक्ति की सीमाओं का पूरी तरह अंदाजा नहीं होता है.

उदाहरण के लिए अगर हम रेसहॉर्स मे करीब खड़े हो तो हम घोड़ों को नियंत्रित करने का तनाव और प्रयास देख सकते हैं. हम उनकी उखड़ी हुई सांसे और दर्द भरी कराहे सुन सकते हैं. लेकिन दूर से देखने पर हमें सब कुछ बहुत सुंदर नजर आता है और ऐसा लगता है, जैसे घोड़े हवा में उड़ रहे हो. इसी प्रकार अगर आप दूसरों को दूरी पर रखेंगे तो वे सिर्फ यही देख पाएंगे कि आप कितनी आसानी से आगे बढ़ते हैं और दूसरो को आप शक्तिशाली नज़र आएंगे.  

Friday 15 May 2020

सम्मान पाना चाहते है तो इन नियमो को अपनाए


   
दोस्तों इस पोस्ट में हम यह सीखेंगे की ह्म ऐसा क्या करे जिससे हमे दुसरो का सम्मान मिले और Compititon के इस दौर मे हम किसी से पीछे न रहे और हमारी मांग कम न हो.

1.लोगों को अपने पर निर्भर बनाना सीखे- अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए आपको ऐसा बनना चाहिए जिसकी लोगों को हमेशा आपकी जरूरत पड़े और वे आपको चाहे. आप पर जितना ज्यादा भरोसा किया जाएगा आपके पास उतनी ही ज्यादा स्वतंत्रता होगी. कुछ ऐसा करें ताकि दूसरे अपने सुख समृद्धि के लिए आप पर निर्भर बन जाए. ऐसा करने के बाद आपको किसी चीज का डर नहीं लगेगा रहेगा. लोगों को इतना ना सिखाएं कि आपके बिना उनका काम चल जाए. जब आप लोगों के साथ निर्भरता के संबंध बनाते है तो लोग बिना किसी दबाव के आपकी इच्छा के अनुसार काम करते है और आपकी शक्ति बढती है.

मालिक को आपकी सेवाओं की जरूरत है. वह कमजोर है या आपके बिना काम नहीं कर सकता है. आप इतनी गहराई तक उसके काम में डूब चुके हैं कि आप को हटाने से उसे बहुत मुश्किलें आएंगी या आपकी जगह पर किसी अन्य व्यक्ति को प्रशिक्षण देने में उसका बहुत सा कीमती समय बर्बाद होगा. एक बार जब इस संबंध तरह का संबंध स्थापित हो जाता है तो आपकी स्थिति सशक्त हो जाती है और आप मालिक से अपना मनचाहा काम करवा सकते हैं. आप सिंहासन के पीछे बैठे राजा के उस सेवक की तरह होते हैं जो दरअसल राजा को नियंत्रित करता है.  

अगर आप खुद को अनिवार्य नहीं बना पाते हैं तो पहला मौका मिलते ही आपको बाहर निकाल दिया जाएगा. आप की जगह पर किसी कम उम्र वाले, कम महंगे और कम जोखिम वाले नए व्यक्ति को नियुक्त कर दिया जाएगा. यदि सब कुछ आप पर निर्भर होगा तो आपको निकाला नहीं जा सकता है क्योंकि आपको निकालने का मतलब तबाही है. इसलिए आपका मालिक यह जोखिम कभी नहीं ले सकता है. इस तरह की स्थिति में आने के बहुत से तरीके हैं. उसमें सबसे महत्वपूर्ण है किसी ऐसी योग्यता या रचनात्मक प्रतिभा का होना जिसका कोई विकल्प ही ना हो.

इस बात को Author एक कहानी के द्वारा समझाते हैं. एक बार दो घोड़े अपनी पीठ पर एक एक गट्ठर लाद कर ले जा रहे थे. आगे वाला घोड़ा अच्छी तरह चल रहा था. लेकिन पीछे वाला घोड़ा आलसी था. उनके मालिक ने पीछे वाले घोड़े का गट्ठर भी सामने वाले घोड़े पर लाद दिया. गट्ठर का वजन हटने के बाद पीछे वाला घोड़ा आसानी से चलने लगा और आगे वाले घोड़े से बोला तुम मेहनत करो और पसीना बहाओ. तुम जितनी ज्यादा मेहनत करोगे तुम्हें उतना ही ज्यादा कष्ट उठाना पड़ेगा. जब वह सराय तक पहुंच गए तो मालिक ने कहा जब मैं एक ही घोड़े पर सारा सामान लाद सकता हूं तो फिर मैं दो घोड़ों को खिलाने पिलाने का खर्च क्यों उठाऊं. इससे अच्छा तो यह रहेगा कि मैं एक घोड़े को भरपेट खिलाओ और दूसरे की खाल उतरवा लो कम से कम मुझे उसकी चमड़ी तो मिल ही जाएगी और उसने ऐसा ही किया. इसलिए हमेशा दूसरों को अपने ऊपर निर्भर बनाना सीखे. जब लोग अपनी प्यास बुझा लेते है तो वह तत्काल कुए की तरफ पीठ कर लेते है. क्योंकि अब उन्हें उसकी जरूरत नहीं है. जब निर्भरता खत्म हो जाती है तो शिष्टता और सभ्यता भी खत्म हो जाती है और उसके बाद सम्मान भी. इसलिए आपको पहला सबक यह सीखना चाहिए कि दुसरो की समस्या का समाधान जरुर करे लेकिन पूरी तरह संतुष्ट ना करें. दुसरो को हमेशा आपकी जरूरत महसूस होनी चाहिए.

2.सम्मान पाने के लिए दूरी बनाएं- कही भी बहुत ज्यादा आने जाने से कीमत घटती है. आप जितना ज्यादा दिखते और बोलते हैं आप उतने ही साधारण नजर आते हैं. अगर आप किसी समूह में स्थापित हो चुके हैं तो कुछ समय के लिए उससे दूर रहें. आप के अनुपस्थित रहने पर आपके बारे में ज्यादा बातें होंगी और आपकी ज्यादा तारीफ भी होगी. आपको बस यह सीख लेना चाहिए कि दूर कब रहना है. अभाव से हर चीज का मूल्य बढ़ जाता है इस सिद्धांत का लाभ लें.

उदाहरण के लिए इस नियम की सच्चाई को प्रेम प्रसंगों में आसानी से देखा जा सकता है. प्रेम प्रसंगों की शुरुआत में प्रेमिका की अनुपस्थिति से आपकी कल्पना की उड़ान उसे महिमामंडित कर देती है. लेकिन जब आप उसके बहुत करीब रहने लगते हैं तो यह आभामंडल धुंधला पड़ने लगता है. क्योंकि अब आपकी कल्पना को उड़ने की जगह ही नहीं मिलती है. इस स्थिति में प्रेमिका भी सामान्य लगने लगती है इसलिए आप उसकी उपस्थिति को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं. इसे रोकने के लिए आपको चाहिए कि आप सामने वाले से दूर हट जाए. अगर उन्हें इस बात की आशंका रहेगी कि आप हमेशा के लिए उनसे दूर जा सकते हैं तो वह आपका सम्मान करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

इस नियम का एक और रोजमर्रा का उदाहरण है जो इसकी सच्चाई को और भी स्पष्टता से बताता है वो यह है कि अर्थशास्त्र में दुर्लभता का नियम - बाजार से किसी चीज को हटा दीजिए उसका मूल्य तत्काल बढ़ जाएगा.

एक अन्य उदाहरण के तौर पर Author बताते है कि सूर्य का महत्व इसकी अनुपस्थिति से ही होता है. बारिश के दिन जितने लंबे होते हैं सूर्य का उतना ही ज्यादा इंतजार होता है. लेकिन लगातार गर्मी पड़ने पर सूरज चुभने लगता है. अगर आप खुद को अनुपस्थित रखना सीख लेंगे तो लोगों में आप की मांग बढ़ जाएगी. सम्मान उत्त्पन्न करने के लिए दूरी बनाए. लगातार आसपास रहने से शोहरत कम होती है, दूर रहने से यह बढ़ती है. दूर रहने पर जिस व्यक्ति को शेर माना जाता है. सामने होने पर वही सामान्य और मूर्खतापूर्ण लगता है.

3.दूसरों को दुविधा में रखें, अनिश्चय का माहौल बनाए- इंसान आदतों के हिसाब से चलते हैं. लोगो के मन में इस बात की गहरी चाहत होती है कि दूसरों के काम उन्हें परिचित लगे. आपके रोजाना एक जैसा व्यवहार करने पर उन्हें यह एहसास होता है कि आप उनके नियंत्रण में है. पासों को पलट दे जानबूझकर अलग काम करें. ऐसा करने पर उनका संतुलन गड़बड़ा जाएगा और वह आपके कदमों का मतलब समझने की कोशिश में थक कर चूर हो जाएंगे. बहुत आगे तक ले जाने पर यह रणनीति आतंक उत्पन्न कर सकती है.

इस नियम को Author एक उदाहरण के द्वारा समझाते हैं. मशहूर पेंटर पाब्लो पिकासो ने कुछ समय तक अपनी पेंटिंग्स रोजैन वर्ग नाम के आर्ट  डीलर को बेंची. फिर 1 दिन बिना किसी कारण के पाब्लो पिकासो ने उससे कहा कि अब वह उसे अपनी कोई पेंटिंग नहीं बेचेंगे.

पाब्लो पिकासो ने इसके कारण को स्पष्ट करते हुए मन ही मन सोचा रोजैन वर्ग अगले 48 घंटों तक यह अनुमान लगाने की कोशिश करेगा कि ऐसा क्यों हुआ. कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं अपनी पेंटिंग किसी दूसरे  डीलर को बेचना चाहता हूं. मैं अपना काम करता रहूंगा और चैन की नींद सोऊंगा. जबकि रोजैन वर्ग हर पल चिंता करता रहेगा और 2 दिन बाद वह मेरे पास परेशान हालत में आएगा और कहेगा देखो दोस्त मैं तुम्हें जितने पैसे देता हूं, अगर मैं तुम्हें उससे ज्यादा पैसे दूं तब तो तुम मुझे मना नहीं करोगे, है ना ? और ऐसा ही हुआ.  

अप्रत्याशित व्यवहार सिर्फ दहशत फैलाने का ही हथियार नहीं है. हर दिन व्यवहार के तरीकों को बदलने से आपके चारों तरफ उत्तल पुथल होगी और लोगों की रुचि जागृत होगी. लोग आपके बारे में बातें करेंगे, ऐसे उद्देश्य और स्पष्टीकरण सोचेंगे जिनका सच्चाई से कोई लेना-देना ही नहीं है. वे लगातार आपके बारे में ही सोचते रहेंगे. परिणाम यह होगा कि आप जितनी ज्यादा मूडी दिखेंगे आपको उतना ही ज्यादा सम्मान हासिल होगा.

उदाहरण के लिए हवा- जिसके बारे में पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता. बैरोमीटर में अचानक परिवर्तन दिशा और वेग के अनसोचे परिवर्तन. जिससे कोई सुरक्षा नहीं की जा सकती. आंधी-तूफान से दहशत और दुविधा का माहौल बनता है.

इस नियम का यही सार है कि अपनी शक्ति को बनाए रखने के लिए कुछ ऐसा करे जोकि लोग आपके बारे मे कभी सोच भी नही सकते है. यदि आप ऐसा कुछ करते है तो लोग आपके अंदर रूचि लेते है और आपकी बात मानने पर मजबूर हो जाते है. 


हार को जीत मे कैसे बदले




इस पोस्ट में हम यह सिखेंगे कि आज के आधुनिक युग में ह्म कैसे हारी हुई बाजी को जीत सकते हैं और सामने वाले को अपना मनचाहा काम करने के लिए कैसे मजबूर कर सकते हैं और साथ मे यह भी सीखेंगे की ह्म ऐसा क्या करे की लोग हमे पसंद करे.  

1.मूर्ख बनाने के लिए मूर्ख बनने का नाटक करें, सामने वाले से ज्यादा मूर्ख दिखें- दोस्तों कोई भी व्यक्ति ये पसंद नहीं करता कि वह सामने वाले से ज्यादा मूर्ख दिखाई दे. लेकिन इस नीति का लाभ यह है कि इससे आपके शिकार खुद को आपसे ज्यादा बुद्धिमान मान लेते हैं. जब उन्हें इस बात का विश्वास हो जाएगा तो वह कभी यह शक नहीं करेंगे कि आप जैसे मूर्ख का कोई छिपा हुआ उद्देश्य भी हो सकता है.

चीन में एक कहावत लोकप्रिय है कि शेर को मारने के लिए सूअर बनने का नाटक करना पड़ता है. यह कहावत पुराने जमाने की शिकारी तरकीब से उत्पन्न हुई है. जिसमें शिकारी सूअर की खाल ओढ़ लेता है और उसकी आवाज की नकल करता है. शक्तिशाली शेर सोचता है कि कोई सूअर उसकी तरफ आ रहा है इसलिए शेर उसे करीब आने देता है. शेर इस बात पर खुश होता है कि उसका शिकार खुद चलकर उसके पास आ रहा है लेकिन अंत में शिकारी ही खुश होता है.

दोस्तों हमारे जीवन ऐसे कई मौके होते हैं जब सबसे ज्यादा समझदारी यह दिखाने में होती है कि आप कुछ नहीं जानते हैं. आपको अज्ञानी नहीं होना चाहिए. लेकिन इसका नाटक करने में निपुण होना चाहिए. मूर्खों के बीच में समझदार बनना उतना ही लाभकारी है जितना कि पागलों के बीच में बुद्धिमान बनना.  जो व्यक्ति मूर्ख बनने का नाटक करता है वह मुर्ख नहीं होता है. अपना काम निकालने का सर्वश्रेष्ठ तरीका सबसे मूर्ख व्यक्ति की खाल ओढ़ना है.

2.समर्पण की चाल का प्रयोग करें, कमजोरी को शक्ति में बदलें- जब आप कमजोर हो तो सम्मान के लिए कभी ना लड़े. इसके बजाय समर्पण करने का विकल्प चुने. समर्पण से आपको दोबारा उठकर खड़े होने का समय मिल जाता है. इससे आपको अपनी विजेता शत्रु को सताने और परेशान करने का समय भी मिल जाता है. इससे आपको उसकी शक्ति के घटने का इंतजार करने का समय मिल जाता है. उसे युद्ध में जितने ना दें इससे पहले ही उसके सामने समर्पण कर दें. दूसरा गाल आगे करके आप उसे परेशान और विचलित कर देते हैं. समर्पण का प्रयोग शक्ति के औजार के रूप में करें. अधिक शक्तिशाली विरोधी के सामने जब आपकी हार तय हो तो अक्सर भागने के बजाय समर्पण करना ज्यादा अच्छा होता है. क्योंकि भागने से आप कुछ समय के लिए तो बच सकते हैं लेकिन आपका विरोधी आपको अंततः  पकड़ ही लेगा. इसके बजाय अगर आप समर्पण कर देते हैं तो आपको अपने दुश्मन के आस-पास रहने का मौका मिलेगा और आप मौका मिलते ही उस पर अपने जहरीले दांत गढ़ा सकते हैं.

उदाहरण के लिए 473 ईस्वी पूर्व में प्राचीन चीन में फुजियो के युद्ध में वू के शासक ने यू के राजा गुजियन को बुरी तरह हरा दिया. गुजियन भागना चाहता था लेकिन उसके सलाहकार ने उसे यह सलाह दी कि वह समर्पण कर दें और वू के शासक की सेवा करें, ताकि वह सोच विचार करके बदला लेने की योजना बना सके. उसकी सलाह पर अमल करते हुए गुजियन ने वू के शासक को अपनी सारी संपत्ति दे दी और राजा के अस्तबल में सेवक का काम करने लगा. 3 साल तक वह वू के शासक के सामने झुकता रहा.

आखिरकार वू के शासक को उसकी वफादारी पर भरोसा हो गया और उसने उसे घर लौटने की इजाजत दे दी. बहरहाल गूजियन ने इन 3 सालों में बहुत सी जानकारी इकट्ठी कर ली थी और बदले की योजना बना ली थी. जब राज्य में भयंकर सूखा पड़ा और आंतरिक उथल-पुथल के कारण राज्य कमजोर पड़ गया तो गुजियन ने सेना इकट्ठी की और वू पर हमला करके उसे आसानी से जीत लिया. इसलिए समर्पण में शक्ति है. इससे आपको जबरदस्त प्रतिशोध की योजना बनाने का समय मिल जाता है. अगर गुजियन  भाग गया होता तो उसे यह मौका कभी नहीं मिलता.

यहां पर Author आपसे कहते हैं कि तुमने यह कहावत सुनी होगी, आंख के बदले आंख, दांत के बदले दांत. लेकिन मैं तुमसे कहता हूं कि तुम बुराई का प्रतिरोध मत करो, बल्कि जो तुम्हारे दाएं गाल पर मारे, उसकी तरफ बाया गाल भी कर दो और अगर कोई आदमी तुम पर मुकदमा करके तुम्हारा कोर्ट ले ले, तो तुम उसे अपनी चादर भी दे दो और अगर कोई तुम्हें एक मील चलने के लिए मजबूर करें तो तुम दो मील तक चलो.


3.
खुद को नए सांचे में ढालें-  समाज मे लोग आपको किस नज़र से देखते है इस पर ध्यान न दे. अपने टेलेंट को पहचाने और एक नई पहचान बनाकर खुद को नए सांचे में डालें. अपनी एक ऐसी पहचान बनाए जिसकी तरफ लोगों का ध्यान जाए और वह आपसे कभी न ऊबे. दूसरों की बनाई छवि के हिसाब से जीने से बेहतर है कि आप अपनी छवि खुद बनाएं. अपने सार्वजनिक कार्यों और मुद्राओं में नाटकियो तरीकों का प्रयोग करें. इससे आपकी शक्ति बढ़ेगी और आपका कद जिंदगी से बड़ा नजर आएगा.

Author कहते है कि समय की मांग के अनुसार भूमिका निभाना सीखें. अपनी नकाब को स्थिति के अनुसार ढाले. जो चेहरा आप ओढ़े, उसे हर पल बदलने का अभ्यास करे. उदार वादियों के साथ उदारवादी बने और धोखेबाजो के साथ धोखेबाज. विद्वानों के बीच विद्वान बने, संतो के बीच संत. यह सब का दिल जीतने की कला है समान लोग समान लोगों को आकर्षित करते हैं. स्वभाव पर ध्यान दें और जिस से भी मिले उसके अनुरूप ढल जाए. गंभीर या मजाकिया व्यक्तियों की बातों का उन्हीं के अंदाज में जवाब दें. अपने मूड को समझदारी से बदल दें.


Tuesday 12 May 2020

विकल्प की इस तकनीक से विरोधियो से मनचाहा काम कराये


दोस्तों इस पोस्ट में हम यह जानेंगे कि किस प्रकार से हम लोगों को आप्शन देकर अपना काम बड़ी आसानी से करवा सकते हैं. ऑथर रॉबर्ट ग्रीन बताते हैं कि जब हम किसी व्यक्ति को किसी भी काम के दो विकल्प देते हैं तो उसे ऐसा लगता है कि नियंत्रण उसके हाथ में हैं. जबकि वे दरअसल आपके हाथों की कठपुतली होता है. उन्हें उस समय ऐसा लगता है कि आप उनकी सलाह के बिना कुछ भी नही कर सकते है यदि वे आपको सलाह नही देंगे तो आप काम को पूरा ही नही कर पाएंगे. लेकिन जाने अनजाने वे आपके उद्धेश्यो की ही पूर्ति कर रहे होते है.

लेकिन दूसरो को विकल्प देते समय आपको कुछ सावधानी बरतने की जरूरत होती है. लोगों को ऐसे विकल्प दें ताकि उनके द्वारा कोई सा भी विकल्प चुनने पर आपको लाभ हो. उन्हें दो बुराइयों में से कम बुरी बात को चुनने के लिए विवश करें, जबकि दोनों ही बातें आपके उद्देश्य को पूरा करें. उन्हें दुविधा के सिंगो पर बैठा दे, जिधर मुड़े उन्हें घायल होना ही है. लेकिन किसी को धोखा देते समय आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप उसे बहुत ही सीमित विकल्प दे.

शक्ति के 48 नियम बुक मे ऑथर रॉबर्ट ग्रीन एक उदाहरण के द्वारा समझाते हैं कि इस तकनीक के प्रयोग से रूस के राज्य मंत्री हेनरी किसिंजर राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से अपने सभी काम निकलवाते थे.  हेनरी किसिंजर खुद को अपने बॉस से ज्यादा जानकार मानते थे. लेकिन वे जानते थे कि अगर उन्होंने अपनी मर्जी से नीति तय करने की कोशिश की तो इससे निक्सन को गुस्सा आ जाएगा जो बहुत ही खतरनाक व्यक्ति के रूप में मशहूर थे. इसलिए किसिंजर हर परिस्थिति के लिए तीन चार विकल्प कार्य सुझाते थे और उन्हें इस तरह से प्रस्तुत करते थे ताकि वही विकल्प सबसे अच्छा नजर आए जो वे उनसे करवाना चाहते थे. हर बार राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन किसिंजर के जाल मे फंस जाते थे. लेकिन उन्हें कभी शक भी नहीं हुआ कि वे उसी दिशा में जा रहे हैं जिस दिशा में किसिंजर उन्हें ले जा रहे हैं.

हमेशा विरोध करने वाले को अपनी इच्छा पर चलने के लिए मजबूर कर दें यह एक बहुत अच्छी तकनीक है. इसका इस्तेमाल बच्चों और दूसरे लोगों पर किया जा सकता है. जो हमेशा आपकी कही बातों के विपरीत चलने में आनंद का अनुभव करते हैं. आप उनसे जो करवाना चाहते हैं उसके विपरीत बात कहें. अपनी आदत के मुताबिक वे उल्टा काम करेंगे. इस तरह वे वही काम करेंगे जो आप उनसे करवाना चाहते हैं.

एक अन्य उदाहरण में ऑथर बताते हैं कि जेपी मॉर्गन नामक व्यक्ति ने एक बार अपने एक परिचित जौहरी से कहा कि वह मोती की स्कार्फ पिन खरीदना चाहते हैं. कुछ सप्ताह बाद जोहरी को एक शानदार मोती मिल गया. उसने इसे जड़वाकर मार्गन के पास भेज दिया. साथ मे उसने 5000 डॉलर का बिल भी भेज दिया. अगले दिन उसका पैकेट वापस लौट आया.

मार्गन ने उसके साथ एक चिट्ठी भी भेजी थी जिसमें यह लिखा था मुझे पिन पसंद है. लेकिन मुझे इसकी कीमत पसंद नहीं है. अगर आप इस चिट्ठी के साथ लगे 4000 डॉलर के चेक को स्वीकार कर ले तो कृपया बॉक्स की सील खोले बिना उसे वापस भेज दें. जौहरी गुस्से में आ गया और उसने चेक लेने से इंकार कर दिया और गुस्से में संदेशवाहक को वहां से भगा दिया. अब उसने बक्से को खोला ताकि उसमें से पिन निकाल ले लेकिन उसने देखा कि पिन वहां नहीं है और उसकी जगह पर 5000 डॉलर का चेक रखा हुआ है.

इस प्रकार जेपी मॉर्गन ने जोहरी को दो ऑप्शन दिए. दोनों ही ऑप्शन मॉर्गन के पक्ष में थे. यदि जौहरी बॉक्स को बिना खोले ही वापिस लौटा देता तो मार्गन को 5000 डॉलर का पिन 4000 डॉलर मे ही मिल जाता. लेकिन जौहरी ने बॉक्स को वापिस नही भेजा तो इसलिए जौहरी को बॉक्स मे 5000 डॉलर का चेक मिल गया. दोस्तों इस प्रकार चालाक लोग दूसरों को ऑप्शन देकर अपना फायदा करते हैं.

क्योंकि जब आप सामने वाले की बात सीधा सीधा मानने की बजाए उन्हें आप्शन देते है तो उन्हें मजबूरी मे किसी एक आप्शन को चुनना होता है और यदि आप सामने वाले को आप्शन देने मे थोड़ी समझदारी से काम लेते है तो जाहिर है कि आप न सिर्फ उससे अपना काम करवा सकते है बल्कि आप अच्छा खासा लाभ भी कमा सकते है.

शक्तिशाली लोगो की टाइमिंग कला को सीखे


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दोस्तों इस पोस्ट मे हम टाइमिंग कला को सीखेंगे. टाइमिंग कला का मतलब होता है टाइम को मैनेज करना. इस विडियो मे ह्म यह जानेंगे की आज के आधुनिक युग मे शक्तिशाली लोग किस प्रकार से टाइम को मैनेज करते है और अन्य लोगो से आगे निकल जाते है. यदि आप भी टाइम को मैनेज करने की इस कला को सीखना चाहते है तो इस विडियो को पूरा एंड तक देखिये ताकि आप भी टाइमिंग की इस कला मे महारथ हासिल कर सके.         

1.कभी भी जल्दबाजी में ना दिखे – इसका पहला नियम यह है कि आप कभी भी जल्दबाजी में ना दिखे. जब आप जल्दबाजी में होते है उस समय खुद पर और समय पर आपका पूरा नियंत्रण नहीं होता है. क्योंकि जब आप डर और जल्दबाजी मे होते हैं तो आप बहुत सी समस्याएं पैदा कर लेते हैं जिन्हें सुलझाने की जरूरत होती है. इन्हें सुलझाने में बहुत ज्यादा समय लग जाता है. जो उस स्थिति में नहीं लगता अगर आपने ज्यादा समय लिया होता. जल्दबाजी कभी कबार जल्दी तो पहुंचा देती है लेकिन इससे नए खतरे खड़े हो जाते हैं. जल्दबाजी करने वाले लोग निरंतर संकट की स्थिति में रहते हैं और उन समस्याओं को सुलझाने में ही लगे रहते हैं जिन्हें उन्होंने खुद पैदा किया है. कई बार खतरे की स्थिति में कुछ ना करना ही सर्वश्रेष्ठ कदम होता है. आप कितने भी अनुभवी व्यक्ति क्यों न हो लेकिन जल्दबाजी मे आपसे कुछ न कुछ गलत हो ही जाता है और उस समय आपकी सितिथि एक ऐसे बच्चे के समान हो जाती है. जो मुश्किल आने पर घबरा जाता है और मदद के लिए दुसरो की तरफ देखता है. इसलिए हमेशा धैर्यवान नजर आए, जैसे आपको यह विश्वास हो कि आखिरकार आप सफल होंगे. जब मुश्किल परिस्तिथि आए तो काम करने की गति को धीमा कर दीजिये. ताकि उस समस्या से उभरने की तरकीब आपको मिल जाए. जैसे ही आपको तरकीब मिल जाए और परिस्तिथिया आपके अनुकूल हो. तुरंत पूरी शक्ति के साथ वार करे. जब आप ऐसा करते है तो आप पहले से अधिक शक्तिशाली नज़र आते है. 

आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी की “ लोहा गरम है हथोडा मार दो ”.  

2. दूसरों से समय की मांग करे - लोगों से इंतजार करवाना समय को नियंत्रित करने का एक जबरदस्त तरीका है. हर व्यक्ति का समय बदलता है. यदि किसी समय परिस्तिथिया आपके अनुकूल नही है तो उसके लिए आपको कोशिश और समय की जरूरत होती है. यदि आप दुसरो से इन्तजार करवाते है तो आप समय को काबू कर लेते है. क्योंकि वह नहीं जानते कि आप क्या करने वाले हैं. जब वे आपका इंतजार करते हैं तो जाने अनजाने मे वे आपको ऐसे अवसर देते हैं जिनका आप लाभ उठा सकते हैं.

उदाहरण के लिए एक बार की बात है सुल्तान ने 2 लोगों को मौत की सजा सुनाई. उनमें से एक जानता था कि सुल्तान अपने घोड़े से बहुत प्रेम करता था. उसने सुल्तान से कहा कि अगर वह उसकी जान बख्श देगा तो वह 1 साल में उसके घोड़े को उड़ना सिखा देगा. सुल्तान यह सुनकर खुश हो गया कि वह दुनिया के इकलौते उड़ने वाले घोड़े पर सवारी कर सकता है. वह इस बात के लिए तैयार हो गया. दूसरे कैदी ने अपने मित्र की तरफ हैरानी से देखा और बोला तुम जानते हो कि कोई भी घोड़ा नहीं उड़  सकता है. तुमने इस तरह की पागलपन की बात सोची भी कैसे. तुम तो सिर्फ अपनी मौत को 1 साल के लिए टाल रहे हो.

पहला कैदी बोला भाई ऐसी बात नहीं है मैंने ऐसा करके खुद को अपनी आजादी के 4 मौके दिए हैं. पहली बात सुल्तान 1 साल के भीतर मर भी सकता है. दूसरी बात मैं मर सकता हूं. तीसरी बात घोडा  मर सकता है और चौथी बात हो सकता है मैं घोड़े को उड़ना सिखा ही दूं. 
इस प्रकार आप कठिन परिस्तिथियों मे थोडा सा समय मांग कर अपनी किस्मत बदल सकते है. 

3. दुसरो की टाइमिंग गडबडा दे- खुद को शक्तिशाली बनाने का तीसरा नियम यह है कि आप दूसरों की टाइमिंग मे अचानक से कुछ परिवर्तन कर दें. यदि आप उनसे जल्दबाजी और उनकी समान्य गति से अधिक तेजी से काम करवाने सफल होते है तो आप आधी लड़ाई जीत लेते हैं. उनके साथ शुरुआत तो धीमी करें लेकिन फिर उन पर दबाव बढ़ा दे. जब आपके विरोधी जल्दबाजी मे काम करते है तो उनसे गलतिया होती है और उस समय आप उनकी गलतियों का फायदा उठा सकते है.

4. धैर्य रखे और अपने लक्ष्य पर नज़र गड़ाए रखे- हो सकता है कि आप सही पल का धैर्य से इंतजार कर सकते हो और अपने प्रतियोगियों की टाइमिंग गड़बड़ा कर उनकी कुशलता को प्रभावित कर सकते हो. लेकिन आपको तब तक कोई फायदा नहीं होगा जब तक आप यह ना जानते हो कि काम को पूरा कैसे करना है. आप सही समय का जितना चाहे इंतजार करें लेकिन जब यह सामने आए तो काम तत्काल पूरा कर दें.

उदाहरण के लिए बाज धैर्य और शक्ति से आसमान का चक्कर लगाता है. वह अपनी शक्तिशाली आंखों से सब कुछ देख लेता है. नीचे के लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वे उन्हें देख रहा है. जब सही पल आता है तो बाज इतनी तेजी से नीचे झपट्टा मारता है कि उससे बचा नहीं जा सकता. इससे पहले कि शिकार यह जान पाए कि क्या हो रहा है, बाज के नुकीले पंजों में दबकर आसमान में पहुंच जाता है.

इसी प्रकार इंसान की परिस्थितियों में भी एक बदलाव आता है जिस पर सवार होकर तकदीर की मंजिल तक पहुंचा जा सकता है. लेकिन अगर इसका लाभ न उठाया जाए तो जिंदगी का सफर दुखों में ही खत्म हो जाता है.

Sunday 10 May 2020

टाइमिंग कला में माहिर बने ll Time Management Skills (48 Laws of Power Book)


Hello friends this video made through the book of 48 laws of power. In this video tells powerful people how to manage time. Author Robert Greene's book teach us some powerful management skills. If you want to teach the skills of time management please watch carefully this video and like share and subscribe the channel.

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