Monday 12 October 2020

जानिए आपका धन का ब्लूप्रिंट क्या है

 


दोस्तों इस वीडियो मे हम जानेंगे की आपका धन का ब्लूप्रिंट क्या है और यह कैसे बनता है. हम में से हरेक के पास धन और सफलता का व्यक्तिगत ब्लूप्रिंट होता है. जो हमारे अवचेतन मन में छिपा रहता है और यह ब्लूप्रिंट आपकी वित्तीय तकदीर को जितना तय करता है, उतना कोई और चीज नहीं करती है। यह किसी मकान के ब्लूप्रिंट जैसा ही होता है। यानी उस खास मकान की पहले से बनी योजना या डिजाइन इसी तरह आपके धन का ब्लूप्रिंट धन के मामले में आपकी पहले से बनी योजना या प्रोग्राम है। अब मैं आपको एक बहुत ही महत्वपूर्ण फार्मूला बताना चाहता हूं। यही फार्मूला तय करता है कि आप अपनी वास्तविकता और दौलत किस तरह उत्पन्न करते हैं। COMPITITION के इस दौर मे कई सम्मानित लोगों ने इस फार्मूले को अपनी सफलता की बुनियाद बनाया है। वह फार्मूला यह है।  


T-F-A-R

आपका वित्तीय ब्लूप्रिंट धन के क्षेत्र में आपके विचारों (Thoughts), भावनाओं (Feelings) और कार्यों (Actions) के तालमेल का परिणाम (Result) है। तो धन का आपका ब्लूप्रिंट कैसे बनता है ? जवाब आसान है। आपका वित्तीय ब्लूप्रिंट मुख्यता उस जानकारियां या प्रोग्राम से बनता है जो आपको अतीत में मिली है। इस प्रोग्रामिंग या कंडीशनिंग के मूल स्त्रोत कौन से हैं। ज्यादा लोगों के मामले में इस सूची में उनके माता-पिता, Gurdian, भाई-बहन, दोस्त, सम्मानित लोग, शिक्षक, धर्मगुरु, मीडिया और संस्कृति शामिल होंगे।  

आइए संस्कृति के बारे में विचार करें। क्या यह सच नहीं है कि कुछ संस्कृतियों में धन के बारे में सोचने और काम करने का एक निश्चित तरीका होता है। जबकि दूसरी संस्कृतियों की इस बारे में अलग नीति होती है। क्या आप सोचते हैं कि बच्चा अपनी मां के पेट से पैसे के बारे में अपना नजरिया लेकर आता है या फिर हर बच्चे को यह सिखाया जाता है कि धन के बारे में उसे कैसे नजरिया रखना है। आपका अंदाजा सही है हर बच्चे को सिखाया जाता है कि धन के बारे में कैसे सोचा और काम किया जाए।  

यही आपके बारे में, मेरे बारे में, हर एक के बारे में सच है। आपको यह सिखाया गया है कि पैसे के बारे में कैसे सोचना और काम करना है। यही सिखाई गई बातें आपकी कंडीशनिंग कर देती हैं और आपको एक सांचे में ढ़ाल देती हैं। यह आपकी Automatic activities बन जाती है जो जिंदगी भर चलती है।  जाहिर है यह तब तक होगा जब तक कि आप बीच में Interference करके अपने मस्तिष्क की दौलत की फाइलों को बदल ना दें। आपके विचार उन जानकारी की फाइलों से उत्पन्न होते हैं जो आपके दिमाग की अलमारियों में होती हैं। वह जानकारी कहां से आती है ? यह आपके अतीत की प्रोग्रामिंग से आती है।  यह सच है आपके अतीत की कंडीशन आपके दिमाग में आने वाले हर विचार को तय करती है। इसलिए अक्सर इसे कंडीशंड मस्तिष्क कहा जाता है।  

इसे समझ के अधार पर हम अब अपने काम करने की Process को नीचे दिए तरीके से संशोधित कर सकते हैं।  


P-T-F-A-R

आपकी प्रोग्रामिंग (Programming) आपके विचारों (Thoughts) को उत्पन्न करती है. आपके विचार (Thoughts) आपकी भावनाओं (Feelings) को उत्पन्न करते हैं। आपकी भावनाएं (Feelings) आपके कार्यों (Actions) को उत्पन्न करती हैं, आपके कार्य परिणामों (Results) को उत्पन्न करते हैं। इसलिए पर्सनल कंप्यूटर की तरह आप भी अपनी प्रोग्रामिंग बदलकर अपने परिणामों को बदलने की दिशा में पहला अनिवार्य कदम उठा ले।

हमारी कंडीशनिंग किस तरह होती है ? हम जीवन के हर क्षेत्र में जिसमें धन भी शामिल है, तीन मूल तरीकों से कंडीशन होते हैं।  

शाब्दिक प्रोग्रामिंग : हमने बचपन में क्या सुना था ?

मॉडलिंग अनुसरण : हमने बचपन में क्या देखा था ?

विशेष घटनाएं : आपने बचपन में क्या अनुभव किया था ?


1.शाब्दिक प्रोग्रामिंग

पहला प्रभाव शाब्दिक प्रोग्रामिंग से शुरु करते हैं। बड़े होते समय आपने धन-दौलत और अमीर लोगों के बारे में क्या सुना था ? क्या आपने इस तरह के वाक्य के सुने थे : पैसा ही सारी बुराइयों की जड़ है।  मुसीबत के समय के लिए पैसे बचाए। अमीर लोग लालची होते हैं। अमीर लोग अपराधी होते हैं। अमीर लोग बदमाश होते हैं। पैसे कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। पैसा पेड़ों पर नहीं उगता है।  आप एक साथ अमीर और आध्यात्मिक नहीं हो सकते। पैसा खुशी नहीं खरीद सकता। पैसा गंदा होता है।  अमीर और ज्यादा अमीर बनते जाते हैं और गरीब ज्यादा गरीब। पैसा हम जैसे लोगों के लिए नहीं है।  हर कोई अमीर नहीं बन सकता। कभी पर्याप्त नहीं रहता है और सबसे मशहूर वाक्य की हम इसका खर्च नहीं उठा सकते ? आपने पैसे के बारे मे जो भी सुना है, वह सब आपके अवचेतन मस्तिष्क के उस Blue Print के साथ रहता है जो आपकी Financial Life को चला रहा है।    

यहा पर Author स्टीफन नाम के लड़के का उद्धारण देते हुए बताते है कि एक जिस वक्त स्टीफन कोर्स  में आया, वह हर साल 8 लाख डॉलर  कमा रहा था और पिछले 9 साल से इतना ही कमा रहा था। लेकिन इसके बाद भी उसका खर्च खींचतान का चलता था। किसी ना किसी तरह वह अपने पैसे को खर्च करने, उधार देने या गलत जगह investment का निर्णय लेकर गवा देने में कामयाब हो जाता था। कारण चाहे जो हो उसकी कुल जमा पूंजी शून्य  थी।   

स्टीफन ने हमें बताया कि उसके बचपन में उसकी मां अक्सर कहती थी। अमीर लोग लालची होते हैं वे गरीबों के खून पसीने की कमाई हड़पकर दौलतमंद बनते हैं। इंसान के पास काम चलाने लायक पैसा ही होना चाहिए। उसके बाद अगर आप पैसे बचाते हैं तो आप सूअर है।  

स्टीफन के अवचेतन मन में क्या चल रहा था यह पता लगाने के लिए रॉकेट साइंसिस्ट होने की जरूरत नहीं थी। कोई हैरानी नहीं कि वह कका था। उसकी मां ने शाब्दिक कंडीशनिंग करके उसे यह विश्वास दिला दिया था कि अमीर लोग लालची होते हैं। इसलिए उसके मस्तिष्क में अमीर बनने को लालची होने के साथ छोड़ दिया था। जाहिर है लालची होना बुरी बात है और चूंकि वह बुरा नहीं बनना चाहता था। इसलिए अवचेतन रूप से वह अमीर नहीं बन सकता था।  

वह अपनी मां से प्रेम करता था और उसकी नजरों में बुरा नहीं बनना चाहता था। अगर वह अमीर बन जाता तो यह स्पष्ट रूप से उसकी मां को पसंद नहीं आता, जो अमीरों को लालची मानती थी। इसलिए उसके लिए एकलौता तरीका यही था कि वह कामचलाऊ पैसे  कमाकर ज्यादा आमदनी से जैसे तैसे छुटकारा पा ले वरना उसकी मां उसे सूअर समझेगी।  

अब आप सोच रहे होंगे कि अमीर बनने और माँ या किसी दूसरे व्यक्ति की पसंद के बीच चुनाव का सवाल उठने पर ज्यादातर लोग अमीर बनने का चुनाव करेंगे। संभव ही नहीं है।  

मस्तिष्क इस तरह से काम नहीं करता है। निश्चित रूप से अमीर बनना सही चुनाव दिखता है। लेकिन जब अवचेतन मस्तिष्क को गहरी भावनाओं और तर्क में से किसी एक को चुनना होता है तो भावनाएं लगभग हमेशा जीतेंगी। 

हम अब अपनी कहानी की ओर लौटते हैं। कोर्स में 10 मिनट से भी कम समय में हमने कुछ बेहद प्रभावकारी अनुभवजन्य तकनीकों का प्रयोग करके स्टीफन के धन के ब्लूप्रिंट को बदल दिया। इसके बाद वह सिर्फ 2 साल में ड़के से मिलिएनर बन गया। कोर्स में स्टीफन को यह समझ में आ गया कि उसके नकारात्मक विश्वास उसकी मां के थे उसके नहीं थे और यह विश्वास उसकी मां के अतीत की प्रोग्रामिंग पर आधारित है। हम इसे एक कदम आगे ले गए और उससे एक ऐसी रणनीति बनवाई जिससे उसका अमीर बनना उसकी मां को भी पसंद आए। यह सरल था उसकी मां को ठंडे इलाकों में रहना बहुत पसंद था। इसलिए स्टीफन ने समुद्र किनारे के इलाकों मे निवेश किया। वह उन्हें सर्दियों में वहां भेज देता था 6 महीने तक वह स्वर्ग में रहती थी और वह भी। अब मां को उसकी अमीरी पसंद है। यही नहीं वह हर एक को बताती रहती हैं कि उनका बेटा कितना उदार है। दूसरी बात उसका अपनी मां से साल में 6 महीने पाला नहीं पड़ता है बहुत बढ़िया।  

एक बार फिर, आपकी अवचेतन कंडीशनिंग आपकी सोच को तय करती है। आपकी सोच आपके निर्णयो  को तय करती हैं। आपके निर्णय आपके कार्यों को तय करते हैं जो अंततः आप के परिणामों को तय करते हैं। परिवर्तन के चार प्रमुख तत्व है जिनमें से प्रत्येक आपके पीछे ब्लूप्रिंट की दोबारा प्रोग्रामिंग के लिए अनिवार्य है. यह तत्व साधारण लेकिन बहुत शक्तिशाली है.

 


परिवर्तन के कदम : शाब्दिक प्रोग्रामिंग

परिवर्तन का पहला तत्व जागरूकता- आप किसी चीज को तब तक नहीं बदल सकते जब तक आपको उसके अस्तित्व का पता ना हो.

परिवर्तन का दूसरा तत्व है समझ - आपका सोचने का तरीका कहां उत्पन्न हुआ, यह समझने से आप यह जान सकते हैं कि बाहर आपको ऐसे परिणाम क्यों मिल रहे हैं.

परिवर्तन का तीसरा तत्व है अलगाव- जब आपको एहसास हो जाता है कि यह सोचने का तरीका आपका नहीं किसी दूसरे का है तो आप खुद को उससे अलग कर सकते हैं और यह चुनाव कर सकते हैं कि उसे आगे जाए रखा जाए या छोड़ दिया जाए. इसके लिए आपको उस बात पर विचार करना होगा कि आप आज कहां है और आने वाले कल में कहां पहुंचना चाहते हैं. आप सोचने के इस तरीके का निरीक्षण करके इसकी हकीकत देख सकते हैं. आप जान जाते हैं कि यह जानकारी की ऐसी फाइल है जो आपके दिमाग में बहुत पहले से रखी हुई है और हो सकता है कि अब वह सच्ची और महत्वपूर्ण ना हो.



2.दूसरा प्रभाव मॉडलिंग-

जिस दूसरे तरीके से हमें कंडीशन किया जाता है वह है मॉडलिंग अनुसरण. जब आप बड़े हो रहे थे तो पैसों के मामले में आपके माता-पिता या अभिभावक कैसे थे ? क्या उनमें से एक ने या दोनों ने अपने धन का अच्छा प्रबंध किया या खराब प्रबंधन किया. वह फिजूल खर्च थे या अच्छे निवेशक. वे चतुर निवेशक थे या वे निवेश ही नहीं करते थे. वह जोखिम लेने वाले थे या सुरक्षित मानसिकता वाले थे. उनके पास पैसा टिका रहता था या फिर पैसे के मामले में हमेशा उतार-चढ़ाव का सिलसिला चलता रहता था. आपके परिवार में पैसा आसानी से आता था या फिर इसके लिए हमेशा संघर्ष करना पड़ता था. पैसा आपके परिवार में खुशी का साधन था या फिर इसे लेकर हमेशा बहस होती रहती थी.

यह जानकारी महत्वपूर्ण क्यों है शायद आपने यह कहावत सुनी होगी बंदर जैसा देखते हैं वैसा ही करते हैं इंसान भी ज्यादा पीछे नहीं है. बचपन में हम हर चीज अनुसरण से सीखते हैं. हालांकि हम मे से ज्यादा  लोग इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहेंगे. लेकिन इस पुरानी कहावत में काफी सच्चाई है “सेब  पेड़ से ज्यादा दूर नहीं गिरता है.”

यहाँ पर Author एक औरत का example देते है जो डिनर के लिए हेम बर्गर पकाते समय उसके दोनों सिर काट देती थी। एक दिन यह देख कर उसका पति हैरान रह गया और उसने पूछा कि वह दोनों सिरे क्यों काटती है। पत्नी का जवाब था मेरी मां भी इसी तरह पकाती थी। संयोग की बात उस औरत की मां डिनर के लिए उस रात को उनके घर आ रही थी। उन दोनों ने उनसे पूछा कि वह हेम बर्गर के दोनों सिरे क्यों काटती है। मां का जवाब था मेरी मां भी इसी  तरह पकाती थी। यह सुनकर उन्होंने नानी से फोन पर पूछने का फैसला किया और पूछा कि वह हैमबर्गर के दोनों सिरे क्यों काटती थी. उनका जवाब क्योंकि मेरी कढ़ाई बहुत छोटी थी।  

सबक यह है कि आमतौर पर हम धन के क्षेत्र में अपने माता-पिता या दोनों के तालमेल के अनुरूप होते हैं।



परिवर्तन के कदम : मॉडलिंग (अनुसरण)

जागरूकता : धन दौलत के मामले में अपने माता पिता की आदतों के बारे में विचार करे. लिख ले कि आप किस तरह उनमें से किस के अनुरूप या विपरीत हो सकते हैं.

समझ : अपने वित्तीय जीवन पर इसके पड़ने वाले प्रभाव को लिख लें.  

अलगाव : क्या आप देख सकते हैं कि यह जीवनशैली आपने सिर्फ सीखी है और यह आपका सच्चा स्वरूप नहीं है ? क्या आप देख सकते हैं कि आपके पास इसी पल बदल जाने का विकल्प मौजूद है ?

घोषणा : दिल पर हाथ रख कर कहे....

“ पैसे के क्षेत्र में मैं उनका अनुसरण कर रहा था अब मैं अपना रास्ता खुद चुनता हूं.”



3.तीसरा प्रभाव : विशिष्ट घटनाएं

हमारी कंडीशनिंग का तीसरा बुनियादी तरीका है: विशिष्ट घटनाएं. बचपन में धन-दौलत और अमीर लोगों के बारे में आपके अनुभव कैसे थे यह अनुभव बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह आपकी धारणाओं या भ्रमो  को आकार देते हैं. अनुरूप आप जी रहे हैं.

यहां पर Author एक उदाहरण देते हुए बताते हैं कि जब उनकी पत्नी 8 साल की थी तो सड़क पर आइसक्रीम वाले की घंटी सुनते ही वह भाग कर अपनी मम्मी के पास जाती थी और चवन्नी मांगती थी. उसकी मां जवाब देती थी बेटा मेरे पास पैसे नहीं है जाकर अपने डैडी से मांगो सारे पैसे डैडी के पास ही रहते हैं. मेरी पत्नी फिर अपने डैडी से पैसे मांगती थी. वे उसे एक चवन्नी दे देते थे. वह अपना आइसक्रीम खरीद लाती थी और खुश हो जाती थी.

हर हफ्ते यही घटना होती थी तो इससे मेरी पत्नी ने पैसे के बारे में क्या सीखा.

पहली बात यह कि सारा पैसा मर्दो के पास रहता है. इसलिए जब हमारी शादी हो गई तो आपको क्या लगता है उसने मुझसे क्या मांगा होगा ? सही सोचा: पैसा. और मैं आपको बता दूं कि अब वह चवन्नी नहीं मांग रही थी. न जाने कैसे उसकी मांगे बढ़ गई थी.

उसने दूसरी बार यही सीखी कि औरतों के पास पैसे नहीं रहते हैं. अगर उसकी मां के पास पैसे नहीं रहते थे तो जाहिर है उसके पास भी नहीं रहने चाहिए. इस विचार को सही साबित करने के लिए वह अचेतन रूप से अपने सारे पैसे से छुटकारा पा लेती थी. वह इसके बारे में बिल्कुल नियम से चलती थी. अगर आप उसे $100 देते थे तो वह $100 खर्च करती थी. अगर $200 देते थे तो वह $200 खर्च कर देती थी.  अगर आप से $500 देते थे तो है $500 खर्च कर देती थी और अगर आप उसे $1000 देते थे तो वह $1000 खर्च कर देती थी.

लेकिन बाद में उनकी पत्नी ने अपने धन के ब्लूप्रिंट को बदलने का तरीका सीख लिया जिससे उनके जीवन में बदलाव आया.



परिवर्तन के कदम : विशिष्ट घटनाएं

जागरूकता : पैसे से संबंधित बचपन की किसी विशिष्ट भावनात्मक घटना के बारे में सोचें.

समझ : लिख लें कि इस घटना ने आपके वर्तमान वित्तीय जीवन को किस तरह प्रभावित किया होगा. 

अलगाव : क्या आप देख सकते हैं कि यह चीज आपने सिर्फ सीखी है और यह आपके मूलभूत स्वरूप में शामिल नहीं है ? क्या आप देख सकते हैं कि वर्तमान पल में आपके पास बदलने का विकल्प है ? 

घोषणा : दिल पर हाथ रख कर कहे...

“मैं अतीत के अपने धन संबंधी नकारात्मक अनुभवों को छोड़ता हूं और एक नया व् समृद्ध भविष्य बनाता हूं.”

“अपना सिर छूकर कहे मेरे पास मिलिएनर मस्तिष्क है ”

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