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जानिए भगवान श्रीकृष्ण को रणछोड़ क्यों कहा जाता है
दोस्तों आप सभी ने श्री कृष्ण भगवान के कई अवतारों के बारे में सुना है. वह अक्सर धरती पर पाप का नाश करने के लिए अवतरित होते है. वे इतने शक्तिशाली थे कि उनका सामना संसार मे कोई भी नहीं कर सकता था. उनको किसी भी अस्त्र-शस्त्र से मारा नहीं जा सकता था. क्योंकि वह तो खुद ही भगवान थे. लेकिन एक बार उन्हें भी युद्ध का मैदान छोड़कर भागना पड़ा था. इसलिए उन्हें रणछोड़ के नाम से भी पुकारा जाता है.
आज हम आपको बताते हैं कि श्री कृष्ण भगवान को रणछोड़ क्यों कहा जाता है. द्वापर युग में कालयवन नाम का एक राजा था. जो कि भगवान शिव से वरदान पाकर बहुत शक्तिशाली हो गया था. भगवान शिव ने उस को वरदान दिया था कि तुम्हें किसी भी अस्त्र-शस्त्र से नहीं मारा जा सकता है और ना ही तुम किसी देवता, दानव व मानव के द्वारा मारे जा सकोगे. कालयवन ने धरती पर सभी राजाओं को परास्त कर दिया था. वह श्रीकृष्ण को हराकर अपने आप को सर्वश्रेष्ठ साबित करना चाहता था. इसलिए उसने मथुरा पर आक्रमण कर दिया. श्री कृष्ण भगवान जानते थे कि कालयवन को भगवान शिव से वरदान मिला हुआ है. इसलिए वह उसका वध नहीं करना चाहते थे. क्योंकि वह भगवान शिव के वरदान की लाज रखना चाहते थे. उन्होंने कालयवन से कहा कि मैं तुमसे अकेले में युद्ध करना चाहता हूँ. मैं नही चाहता हूँ कि व्यर्थ मे लाखों सैनिक युद्ध मे मारे जाए. इसलिए हम दूर जाकर कही लड़ेंगे.
श्री कृष्ण कालयवन को एक गुफा के अंदर लेकर गए. उस गुफा मे मुकुल चंद नामक राजा युगों युगों से सो रहा था. उसे देवराज इंद्र से वरदान मिला हुआ था कि तुम्हें जो व्यक्ति नींद से जगाएगा. उस व्यक्ति पर तुम्हारी द्रष्टि पड़ते ही वह व्यक्ति जलकर राख हो जाएगा. श्री कृष्ण भगवान उस गुफा में जाकर छुप गए. जब कालयवन ने गुफा के अंदर किसी को सोते हुए देखा तो उसने सोचा श्री कृष्ण गुफ़ा मे छुपकर सो रहे हैं. उसने मुकुल चंद को जगाने के लिए पैर मारा. जिससे मुकुल चंद की नींद खुल गई. नींद खुलते ही मुकुल चंद की दृष्टि का कालयवन पर पड़ी और कालयवन जलकर राख हो गया. इसके बाद श्री कृष्ण भगवान ने मुकुल चंद के सामने प्रकट होकर मुकुल चंद को आशीर्वाद दिया. श्री कृष्ण भगवान ने मुकुल चंद को यह वरदान दिया कि तुम तपस्या करने के बाद मेरे परम धाम को प्राप्त करोगे.
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