Sunday 24 May 2020

दूसरों से काम निकलवाने और धोखे से कैसे बचे


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दोस्तों आज के आधुनिक युग में दूसरों से किस प्रकार से काम निकलवा
या जाता है और धोखे से कैसे बचा जाता है। इसे हम शक्ति के 48 नियम बुक से सीखेंगे। इस पोस्ट में मैं आपको शक्ति के 48 नियम से 5 नियम बताऊंगा जिसमे आपको पता चलेगा कि आज के आधुनिक युग में दूसरों से अपना काम कैसे निकलवाया जाता है और अपने शत्रुओ को कैसे वश में किया जाता हैं।  

1.दूसरों को अपने पास बुलाये और जरूरत पड़ने पर दाना भी डालें- जब आप दूसरे व्यक्ति को कोई काम करने के लिए मजबूर करते हैं तो नियंत्रण आपके हाथ मे होता है। हमेशा ज्यादा अच्छा यही होता है कि आपका विरोधी आपके पास आए और इस प्रक्रिया में अपनी योजनाएं छोड़ दे। बहुत बड़ा प्रलोभन देकर उसे ललचाए फिर उस पर हमला कर दें। आपकी जीत के 100 प्रतिशत chances होते है। 

यहां पर ऑथर बताते हैं उन्नीसवीं सदी के मशहूर निवेशक डेनियल शेयर बाजार के मंजे हुए खिलाड़ी थे। जब वे चाहते थे कि बाकी लोग किसी खास कंपनी के शेयर खरीदे या बेचे तो वे कभी भी लोगो को सीधे सीधे उस कंपनी के शेयर खरीदने के लिए नही कहते थे बल्कि वे बड़ी चालाकी से काम करते थे। वह स्टॉक एक्सचेंज के रास्ते में पड़ने वाले एक कलमें जाकर कहते थे कि उन्हें जल्दी ही स्टॉक एक्सचेंज पहुंचना है। फिर वह अपना पसीना पोछने के लिए लाल रुमाल निकालते थे। इस रुमाल से एक कागज गिरता था लेकिन वे उसके गिरने पर ध्यान नहीं देते थे। क्लब के सदस्य हमेशा डेनियल के कदमों को भाने की कोशिश करते रहते थे। इसलिए उनके जाने के बाद वह लपक कर उस कागज़ को उठा लेते थे। उस कागज में किसी कंपनी के शेयर के बारे में गोपनीय जानकारी लिखी रहती थी। बात फैल जाती थी और सदस्य जानकारी के आधार पर धड़ाधड़ वे शेयर खरीदने बेचने लगते थे। इस तरह वे निवेशक डेनियल के हाथों का खिलौना बन जाते थे।

शक्ति के इस खेल मे हर चीज इस बात पर निर्भर करती है कि आप जो दाना डाल रहे हैं वह कितना मीठा है। अगर आपका जाल आकर्षक है तो आपके दुश्मनों की इच्छाओं और भावनाओं की उलझन उन्हें सच्चाई नहीं देखने देगी। उनका लोजितना बढ़ेगा उन्हें उतना ही घुमाया जा सकता है।  
उदाहरण के लिए शहद लगा भालू का फंदा- भालू का शिकारी अपने शिकार के पीछे दौड़ नहीं लगाता है। अगर भालू को यह पता चल जाए कि उसका पीछा किया जा रहा है तो उसे पकड़ना लगभग असंभव होता है और मान लीजिए अगर किसी ने उसे पकड़ भी लिया तो भालू हिंसक हो जाएगा। इसलिए शिकारी भालू का पीछा नहीं करता है। इसके बजाय शिकारी फंदे में शहद लगा देता है। वह भालू का पीछा करके खुद को थकाता नहीं है। वह भालू के पीछे भाग कर अपनी जान जोखिम में नहीं डालता है। वह तो बस फंदा तैयार कर देता है और फिर इंतजार करता है।  

Author  बताते है कि अच्छे योद्धा कभी दूसरों के पास नहीं जाते हैं बल्कि दूसरों को अपने पास आने के लिए मजबूर कर देते हैं। यह दूसरों के खालीपन और खुद के भरे होने का सिद्धांत है। जब आप अपने विरोधियों को अपने पास आने के लिए प्रेरित करते हैं तो उनकी शक्ति हमेशा खाली होती है। जब तक आप उनके पास नहीं जाते तब तक आपकी शक्ति हमेशा भरी होती है। खालीपन पर हमला करना अंडे पर पत्थर मारने की तरह है

2. बहस से नहीं अपने कामों से जीते- जब आप किसी से बहस मे जीतते है तो बहस से मिलने वाली विजय कुछ देर के लिए और दरअसल खोखली होती है। इससे सामने वाले के विचार नहीं बदलते हैं इसके बजाय उसके मन में द्वेष और दुर्भावना उत्पन्न होती है जो काफी समय तक कायम रहती है। कुछ बोले बिना अपने कार्यों से दूसरों को प्रभावित करना बहुत ज्यादा असरदार होता है बोले नहीं बल्कि काम करके दिखा दे।  

Author बताते हैं कि 1688 में रेन ने मेयर के लिए एक शानदार टाउन हॉल डिजाइन किया। लेकिन मेयर उससे संतुष्ट नहीं थाउसने रेन से कहा कि दूसरी मंजिल सुरक्षित नहीं है और यह पहली मंजिल पर बने उसके ऑफिस पर कभी भी गिर सकती है। उसने रेन से कहा कि वह अतिरिक्त सहारे के लिए पत्थर के दो खंबे और लगा दे। रेन बहुत ही कुशल इंजीनियर थे। वह अच्छी तरह जानते थे कि खंभे लगाने का कोई मतलब नहीं है और मेयर का डर निराधार है। लेकिन उन्होंने खंबे लगा दिए जिससे मेयर बहुत खुश हो गया। कुछ साल बाद जब कुछ मजदूर साफ सफाई करने के लिए ऊंची नसेनी पर चढ़े तब जाकर पता चला की वे खंबे छत को सहारा नहीं दे रहे थे बल्कि उससे थोड़ी दूरी पर ही खत्म हो गए थे। यह सिर्फ देखने के लिए लगाए गए थे लेकिन इससे दोनों ही लोगों को वह मिल गया जो वे चाहते थे। मेयर को तसल्ली हो गई और रेन जानते थे कि भावी पीढ़ियां समझ लेंगी कि उनकी मूल डिजाइन सही थी और खंभे की जरूरत नहीं थी। इस प्रकार काम के माध्यम से अपने विचार प्रकट करने से आपके विरोधी हार जाते हैं और आसानी से आपकी बात मान जाते हैं।

एक अन्य उदहारण मे Author बताते हैं जब मिस्त्र मे ऐप्रियस को गद्दी से उतार दिया गया तो अमेसिस सिहासन पर बैठा। वह सईस जिले का था और गरीब कस्बे का निवासी था। पहले तो मिस्र के नागरिक उसका सम्मान नहीं करते थे क्योंकि वह गरीब घर से आया था और उसने अपना कैरियर बहुत निचले स्तर से शुरू किया था। मिस्र के नागरिकों का सम्मान पाने के लिए उसने सख्त कदम नहीं उठाए बल्कि चतुराई से उन्हें अपने पक्ष में कर लिया। उसकी बहुत सी संपत्तियों में से एक था पैर धोने का वह स्वर्ण पात्र जिसमें वह और उसके अतिथि खास अवसरों पर अपने पैर धोते थे। उसने इसे तोड़वाकर एक देवता की सोने की मूर्ति बनवाई और उसे शहर की सबसे अच्छी जगह पर लगवा दिया। मित्र के नागरिक मूर्ति का सम्मान करने लगे। जैसे ही अमेसिस ने यह सुना उसने एक सभा आयोजित की। सभा में उसने यह बताया कि यह सम्मानित मूर्ति कभी उसके पैर धोने का पात्र थी। जिसमें लोग अपने पैर धोते थे, कुल्ला करते थे और गंदगी साफ करते थे। उसने कहा कि उसका हाल भी मूर्ति की तरह ही है क्योंकि वह भी कभी एक साधारण व्यक्ति था और अब सम्राट बन गया है। उसने कहा कि अच्छा यही रहेगा कि जिस तरह लोग पैर धोने के पात्र का सम्मान करने लगे हैं उसी तरह उसका भी सम्मान करने लगे। इस तरह मित्र के नागरिक उसे अपना स्वामी मारने के लिए तैयार हो गए। इसी प्रकार अगर आपका लक्ष्य शक्ति पाना या उसे सुरक्षित रखना है तो हमेशा आसान और गुप्त मार्ग खोजें और युद्ध का मैदान सावधानी से चुने।

3.संक्रमण- दुखी और बदकिस्मत लोगों से बचें- आप किसी दूसरे के दुख से मर सकते हैं। भावनात्मक अवस्थाएं बीमारियों की तरह ही संक्रामक होती हैं। हो सकता है आपको लगे कि आप डूबते आदमी की मदद कर रहे हैं लेकिन यह याद रखें कि ऐसा करके आप सिर्फ अपनी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। बदकिस्मत लोग बदकिस्मती को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। अगर आप उनकी मदद करेंगे तो बदकिस्मती आपकी तरफ भी आकर्षित हो जाएगी।

Author अपनी बात को एक कहानी के द्वारा समझाते है । एक बार एक कौआ एक बीज को अपनी चोंच में दबाकर घंटाघर के ऊपर से ले जा रहा था। तभी बीज उसकी चौसे फिसल गया और घंटाघर के नीचे की दरार में गिर गया। बीज मरते मरते बच गया। उसने घंटाघर की दीवार से आग्रह किया कि उसकी रक्षा करें। उसने ईश्वर की कृपा का वास्ता दिया और दीवार की ऊंचाई, सुंदरता तथा उसके घंटे की आवाज की तारीफ के पुल बांधने लगा। उसने कहा अफसोस कि मैं अपने पिता के पेड़ों की हरी शाखाओं के नीचे नहीं गिरा। अफसोस कि मैं ऐसी जमीन पर नहीं गिरा जो पत्तियों से ढकी हो। लेकिन कम से कम आप तो मुझे सहारा दे दो। जब मैं उस दुष्ट कौए की चोच में था तो मैंने कसम खाई थी कि अगर मैं बच गया तो अपनी बाकी जिंदगी एक छोटे से छेद में गुजार दूंगा। यह शब्द सुनकर दीवार को तरस आ गया और उसने उसको वहीं पर शरण दे दी जहां वह गिरा था। कुछ ही समय में बीज की जड़े निकल आई। ये दीवार के नीचे पत्थरों के बीच में सेंध लगाने लगी और उन्हें दूर खिसकाने लगी। पेड़ की शाखाएं भी आसमान की तरफ बढ़ने लगी। जल्दी ही वह पेड़ घंटाघर से ज्यादा बड़ा हो गया और उसकी गुंथी हुई जड़ें इतनी मोटी हो गई कि दीवार को खिसकाने लगी और पुराने पत्थरों को उनकी जगह से दूर हटाने लगी। बहुत देर बाद जाकर दीवार को होश आया कि दया के कारण उसने अपने ही विनाश को आमंत्रित कर लिया है। लेकिन अफसोस करने से कोई फायदा नहीं था क्योंकि कुछ ही समय बाद दीवार गिर गई।

इसलिए सुखी और खुश किस्मत लोगों के साथ रहे। इस बात को समझ ले कि शक्ति के खेल में यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप कैसे लोगों के साथ जुड़ते हैं। बुरा प्रभाव डालने वालों के साथ जुड़ने में जोखिम यह है कि आप अपना बहुमूल्य समय और ऊर्जा बर्बाद करेंगे। इसके अलावा लोग जब आपको ऐसे लोगों के साथ उठता बैठता देखेंगे तो आपके बारे में भी उनकी राय अच्छी नहीं होगी। कभी भी बुरे प्रभाव के खतरों को कम ना आंके। बुरे प्रभाव का सिर्फ एक ही समाधान है बचकर रहो।  

खतरा यह है कि बुरे प्रभाव डालने वाले यह लोग अक्सर ऐसा अभिनय करते हैं कि दोष उनका नहीं है बल्कि परिस्थितियों का है इसलिए शुरुआत मे यह देखना मुश्किल होता है कि उन्होंने दुखों को खुद आमंत्रित किया है। जब तक आप समस्या की हकीकत जान पाते हैं तब तक अक्सर बहुत देर हो चुकी होती है। आप इस तरह के खतरनाक संक्रमण से खुद को कैसे बचा सकते हैं जवाब यह है कि आप लोगों का मूल्यांकन इस बात से ना करें कि वे अपनी समस्याओं का क्या कारण बताते हैं बल्कि इस बात से करें की दुनिया पर उनका क्या प्रभाव पड़ता है। बुरा प्रभाव डालने वालों को इन बातों से पहचाना जा सकता है कि वह दुर्भाग्य को आमंत्रित करते हैं। उनका अतीत बहुत उथल-पुथल वाला होता है। बहुत से लोगों से उनके संबंध टूट जाते हैं। उनके कैरियर अस्त व्यस्त होते हैं। उनके चरित्र में एक खतरनाक शक्ति होती है। जिससे प्रभावित होकर आप अपनी तर्क शक्ति खो देते हैं। बुरा प्रभाव डालने वालों की इन विशेषताओं को देखकर पहले से ही सचेत हो जाएं। उनकी आंखों में असंतुष्टी के भावों को देखना सीखे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन पर तरस ना खाएं और उनकी मदद करने की कोशिश में खुद को ना उलझ जाएं। बुरा प्रभाव डालने वाले के पास से दूर भाग जाए वरना आपको इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।  

4.मांगते समय दया या कृतज्ञता की नहीं बल्कि स्वार्थ की दुहाई दे- अगर आपको किसी साथी की मदद चाहिए तो उसे यह याद ना दिलाएं कि आपने पहले कभी उसकी कितनी मदद की है या उसके लिए कितने अच्छे काम किए हैं। अगर आप ऐसा करेंगे तो वह आप को नजरअंदाज करने का कोई ना कोई तरीका खोज ही लेगा। इसके बजाय अपने आग्रह में किसी ऐसी चीज की तरफ इशारा कर दें। जिससे उसे लाभ होगा। इस लाभ को बढ़ा चढ़ाकर जोर-शोर से बताएं। जिससे उसे यह लगेगा कि आपकी मदद करने के कारण उसका भला हो सकता है तो वह पूरे उत्साह से आपकी मदद करेगा।
यहां पर Author  एक उदाहरण के द्वारा समझाते हैं कि एक देहाती के बगीचे में सेब का पेड़ था।  जिसमें फल नहीं लगते थे। उस पर सिर्फ गौरैया और टिड्डे ही बैठते थे। उसने पेड़ काटने का फैसला किया और हाथ में कुल्हाड़ी लेकर इसकी जड़ों पर प्रहार करने लगा। टिट्डे और गोरइया ने उससे आग्रह किया कि वे उस पेड़ को ना काटे क्योंकि वह उन्हें शरण देता है। उन्होंने कहा कि वह गीत गाकर उसकी थकान कम कर देंगे। लेकिन उस देहाती ने उनके आग्रह पर कतई ध्यान नहीं दिया और पेड़ पर प्रहार करता रहा। जब वह पेड़ के कोटर तक पहुंचा तो उसे वह मधुमक्खियों का छत्ता दिखा जिसमें बहुत सा शहथा। शहद चखने के बाद उसने अपनी कुल्हाड़ी दूर फेंक दी और पेड़ की बहुत अच्छी देखभाल की। Author समझाते है कि स्वार्थ से ही बहुततेरे लोग प्रेरित होते हैं। ज्यादातर लोग खुद में इतने ज्यादा डूबे रहते हैं कि उन्हें अपने अलावा किसी चीज में सच्ची रूचि नहीं होती है। जब भी कोई उनसे बात करता है तो वह हमेशा इस बारे में सोचते हैं कि इस बात से उन्हें किस तरह लाभ हो सकता है। अगर उन्हें अपना कोई फायदा नजर आता है तो वह पूरे ध्यान से सुनने लगते हैं चाहे उस बात से उनके लाभ का बहुत दूर का संबंध हो।

5.मित्रों की तरह दिखे लेकिन काम जासूस की तरह करें- अपने प्रतिद्वंदी के बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण है। उसकी जानकारी इक्कठी करने के लिए जासूसों का इस्तेमाल करें ताकि आप उससे एक कदम आगे रह सके। इससे भी अच्छा तरीका यह है कि आप खुद भी जासूस की भूमिका निभाए।  सामाजिक समारोह जैसे मौकों पर सतर्क रहें। इस समय लोगों का रक्षा तंत्र कमजोर होता है। इसलिए लोगों से बातचीत करके आप उनसे मनचाही बातें उगलवा सकते हैं। यह रणनीति इतनी जबरदस्त है कि आपकी रुचि को गलती से आपकी दोस्ती मालेंगे। इस तरह आपको ना सिर्फ सामने वाले की भेद मालूम चलेंगे बल्कि आप उन्हे अपना समर्थक भी बना लेंगे। बहरहाल इस रणनीति का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। अगर लोगों को यह शक हो जाए कि आप बातचीत के बहाने उनसे भेद उगलवा रहे हैं तो वे आपसे तराने लगेंगे। इसलिए मूल्यवान जानकारी पर नहीं बल्कि दोस्ताना बातों पर जोर दें। जानकारी के तत्वों की तलाश को बहुत ही स्पष्ट ना होने दें। वरना आपके सवालों से सामने वाला आपके इरादे भांप लेगा और आपको आपकी मनचाही जानकारी नहीं मिल पाएगी।

अगर आपको यह शक हो रहा हो कि कोई व्यक्ति आपसे झूठ बोल रहा है तो इस तरह का नाटक करें जैसे आपको उसके हर शब्द पर भरोसा है इससे से आगे बोलने का साहस मिलेगा और वह ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर बताने के चक्कर में अंत में धोखा खाएगा।

इसी तरह अगर आपको ऐसा लगे कि कोई व्यक्ति आपसे कुछ छुपाने की कोशिश कर रहा है तो इस तरह का नाटक करें जैसे आपको उसकी बातों पर यकीन नहीं है। इससे वह आपके विरोध में उत्तेजित हो जाएगा और आपको भरोसा दिलाने के लिए सच्चाई उगल देगा। 

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