Friday 29 May 2020

सम्मान पाना चाहते है तो इन नियमो को अपनाए


apni value kaise badhaye

दोस्तो इस दुनिया मे हर एक इंसान चाहता है कि लोग उसका सम्मान करे। हम सभी बचपन से यह बाते सुनते आ रहे है कि सम्मान पाने के लिए अच्छे काम करो। यह बात तो सही है कि हमे अच्छे काम करने चाहिए। लेकिन सम्मान पाने के लिए इसके अलावा भी कई बाते ऐसी होती है जो हमे नही बताई जाती और उन सभी बातों को हम अपने दैनिक जीवन मे लोगो के व्यवहार से सीखते है। आइये जानते है वो कौन सी बाते है जिनका प्रयोग करने से लोग आपको शक्तिशाली समझते है और आपका सम्मान करते है।            

1.तिरस्कार का नियम अपनाए-  किसी भी व्यक्ति या वस्तु के प्रति ज्यादा झुकाव आपको नुकसान दे सकता हैं। आप किसी चीज को जितना ज्यादा चाहते हैं, आप उसका उतना ज्यादा पीछा करते हैं और वह आपसे उतनी ही दूर भागती है। आप जितनी ज्यादा रुचि दिखाते हैं आपकी इच्छित वस्तु उतनी ही दूर रहती है। इसका कारण यह है कि आप उस वस्तु को पाने के लिए तरस रहे है।

आपके ऐसे व्यवहार को देखकर लोग अजीब महसूस करते हैं और कई बार तो डर भी जाते हैं। ऐसी सितथि मे आप कमजोर, हारे हुए और दयनीय नजर आते हैं। इसलिए अच्छा यह होगा कि आप जिस चीज को चाहते हैं उसमें रुचि ना दिखाएं। इसके बजाय उसके प्रति तिरस्कार और नफरत दिखाएं। ऐसा करने से इतना जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा कि आपके शिकार पगला जाएंगे और वो आपको प्रभावित करने या आपको हासिल करने या आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे। अब यदि आप उन्हे हासिल करना चाहते हैं तो आपने उन्हे अपनी तरफ आकर्षित करने का पहला कदम सफलतापूर्वक उठा लिया है।

अगर वह आप को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं तो आपने उन्हें विचलित कर लिया है और अपने नियमों के हिसाब से खेलने पर मजबूर कर दिया है। क्योंकि तिरस्कार करना राजा का विशेष अधिकार है। उसकी निगाह जिधर जाती है, वह जिस चीज की तरह देखने का निर्णय लेता है, वही जीवित है। वह जिस चीज को नजरअंदाज करता है या जिसकी तरफ पीठ कर फिर लेता है वह मुर्दा है। यह रूस के सम्राट लुई का नियम था। अगर वह किसी को पसंद नहीं करता था तो वह ऐसा अभिनय करता था। जैसे वह व्यक्ति वहां हो ही नहीं। वह दूसरों से बात करते समय उस आदमी को नजरंदाज करके अपनी श्रेष्ठता बनाए रखता था। जब आप तिरिस्कार के नियम का इस प्रकार से इस्तेमाल करते हैं तो आप समय-समय पर लोगों को दिखा देते हैं कि उनके बिना भी आपका काम चल सकता है। इससे आपको शक्ति मिलती है।  

लेकिन ध्यान रहे अगर नजर अंदाज करने से आपकी शक्ति बढ़ती है तो इसके विपरीत नीति यानी अधिक ध्यान देने से आप अक्सर कमजोर होते हैं। अगर आप किसी पिद्दी दुश्मन की तरफ ज्यादा ध्यान देंगे तो आप भी पिद्दी दिखने लगेंगे और इस तरह के दुश्मन को कुचलने में आपको जितना ज्यादा समय लगेगा दुश्मन उतना ही ड़ा लगने लगेगा।

दूसरा खतरा अगर आप चिढ़ाने वाले को कुचल देते हैं या घायल कर देते हैं तो इससे लोगों के मन में कमजोर पक्ष के लिए सहानुभूति उत्पन्न हो जाती है और वे आपको ही कोसने लगते है।

आपके लिए बेहतर होगा जब कोई पिद्दी व्यक्ति आप पर हमला करें तो लोगों का ध्यान दूसरी तरफ मोड़ दें। इस तरह दर्शाये कि आपको उस हमले का अहसास ही नहीं हुआ है। दूसरी तरफ देखें या मीठे अंदाज में जवाब दें और यह दिखाएं कि हमले का आप पर असर ही नहीं हुआ है।

  

2. छोटी छोटी गलतियो पर कार्यवाही करना- अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करना बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन हम जितनी ज्यादा कोशिश करेंगे स्थिति उतनी ही बिगड़ जाएगी। कई बार गलतियों को जैसे का तैसा छोड़ देना ही ज्यादा कूटनीतिक तरीका होता है। समस्या पर ध्यान केंद्रित करने की गलती ना करें। क्योंकि समस्या के कारण आप चिंता और तनाव में आ जाते हैं।

48 laws of power book  के लेखक रोबर्ट ग्रीन बताते है कि एक बार अमेरिका मे जॉर्ज बर्नार्ड ने मशहूर बिज़नस मैन जीके चेस्टर्टन के आर्थिक विचारों की अखबार में धज्जियां उड़ा दी। इस पर जीके चेस्टर्टन के मित्र उनके जवाब का इंतजार करने लगे। लेकिन उन्होने कोई एक्शन नही लिया. जार्ज के खिलाफ एक्शन न लेने पर उनके दोस्तो ने उन्हे कोसा। इस पर जीके चेस्टर्टन ने अपने दोस्तो से कहा कि प्रिय मित्रो मैंने उसे जवाब दे दिया है, जॉर्ज बर्नार्ड जैसे घटिया आदमी के लिए खामोशी ही सबसे करारा जवाब है।

दोस्तो यह सीखे कि तिरस्कार के खेल को कैसे खेला जाता है। यह प्रतिशोध की सबसे बड़ी कूटनीतिक चाल है। बहुत से लोग गुमनाम ही रह जाते अगर उनके प्रतिष्ठित विरोधियों ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया होता। गुमनामी जैसा कोई प्रतिशोध नहीं है। क्योंकि यह नाकाबिल लोगों की कब्र है जो अपनी बनाई शून्यता की मिट्टी में मिल जाते हैं।

एक अन्य उद्धहरण मे औथर समझाते है कि शरीर का घाव जब छोटा होता है तो यह कष्टकारी और परेशान करने वाला होता है। उस समय आप हर तरह की दवाई अजमाते हैं, शिकायत करते हैं खुजाते हैं। डॉक्टर इसे और बिगाड़ देते हैं। वह एक छोटे से घाव को गंभीर समस्या में बदल देते हैं। अगर आपने घाव पर ध्यान ही नहीं दिया होता तो समय इसे भर देता और आपको चिंता भी नहीं होती। इसी प्रकार छोटी छोटी गलतियो पर ध्यान न देना ही बेहतर होता है।   

 

इसी तरह जब आप कोई बड़ी गलती कर दें तो सबसे अच्छी प्रतिक्रिया यह होती है कि आप गलती को हल्के अंदाज में लेकर उसकी गंभीरता को कम कर दें। याद रखें छोटी-छोटी दिक्कतों और समस्याओं पर सबसे शक्तिशाली प्रतिक्रिया यही है कि आप नजरंदाज करने का नियम अपनाये। समझदारी इसी में है कि आप समस्या के अस्तित्व को ही स्वीकार ही ना करें। दूसरों के सामने यह ना दिखाएं कि आप पर कोई असर हुआ है या आपने बुरा माना है। क्योंकि यदि उस समय आप दूसरों के सामने अपने गुस्से और तनाव का प्रदर्शन करेंगे तो इससे तो सिर्फ यह नजर आता है कि आपने समस्या को स्वीकार कर लिया है।

 

3. खट्टे अंगूर वाली नीति - मान लीजिए आप किसी इंसान या चीज को चाहते हैं। लेकिन आप जानते हैं कि वह आपको नहीं मिल सकती ऐसे में आप सबसे बुरा काम यह कर सकते हैं कि आप दुखी होते है और लोगो को इसके बारे मे बताते है। ऐसा करने पर हो सकता है कि उस समय लोग आपके ऊपर दया करे और उस इंसान या वस्तु के लिए कुछ बुरे शब्दो का प्रयोग करे ताकि आपको अच्छा लगे। लेकिन बाद मे वही लोग आपका मज़ाक उड़ाते है और एक दूसरे से आपके बारे मे बाते करके कहकहे लगाते है ।      

इसलिए बेहतर यह होगा कि आप इस तरह व्यवहार करें जैसे आपकी दरअसल उस चीज में जरा भी रुचि ना थी, ना है और ना ही रहेगी। उसके बिना आपको कोई फर्क ही नही पड़ता। ऐसा दिखाये की वह आपके लायक ही नही थी।       

 

 

 

 


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