Friday 15 May 2020

हार को जीत मे कैसे बदले




इस पोस्ट में हम यह सिखेंगे कि आज के आधुनिक युग में ह्म कैसे हारी हुई बाजी को जीत सकते हैं और सामने वाले को अपना मनचाहा काम करने के लिए कैसे मजबूर कर सकते हैं और साथ मे यह भी सीखेंगे की ह्म ऐसा क्या करे की लोग हमे पसंद करे.  

1.मूर्ख बनाने के लिए मूर्ख बनने का नाटक करें, सामने वाले से ज्यादा मूर्ख दिखें- दोस्तों कोई भी व्यक्ति ये पसंद नहीं करता कि वह सामने वाले से ज्यादा मूर्ख दिखाई दे. लेकिन इस नीति का लाभ यह है कि इससे आपके शिकार खुद को आपसे ज्यादा बुद्धिमान मान लेते हैं. जब उन्हें इस बात का विश्वास हो जाएगा तो वह कभी यह शक नहीं करेंगे कि आप जैसे मूर्ख का कोई छिपा हुआ उद्देश्य भी हो सकता है.

चीन में एक कहावत लोकप्रिय है कि शेर को मारने के लिए सूअर बनने का नाटक करना पड़ता है. यह कहावत पुराने जमाने की शिकारी तरकीब से उत्पन्न हुई है. जिसमें शिकारी सूअर की खाल ओढ़ लेता है और उसकी आवाज की नकल करता है. शक्तिशाली शेर सोचता है कि कोई सूअर उसकी तरफ आ रहा है इसलिए शेर उसे करीब आने देता है. शेर इस बात पर खुश होता है कि उसका शिकार खुद चलकर उसके पास आ रहा है लेकिन अंत में शिकारी ही खुश होता है.

दोस्तों हमारे जीवन ऐसे कई मौके होते हैं जब सबसे ज्यादा समझदारी यह दिखाने में होती है कि आप कुछ नहीं जानते हैं. आपको अज्ञानी नहीं होना चाहिए. लेकिन इसका नाटक करने में निपुण होना चाहिए. मूर्खों के बीच में समझदार बनना उतना ही लाभकारी है जितना कि पागलों के बीच में बुद्धिमान बनना.  जो व्यक्ति मूर्ख बनने का नाटक करता है वह मुर्ख नहीं होता है. अपना काम निकालने का सर्वश्रेष्ठ तरीका सबसे मूर्ख व्यक्ति की खाल ओढ़ना है.

2.समर्पण की चाल का प्रयोग करें, कमजोरी को शक्ति में बदलें- जब आप कमजोर हो तो सम्मान के लिए कभी ना लड़े. इसके बजाय समर्पण करने का विकल्प चुने. समर्पण से आपको दोबारा उठकर खड़े होने का समय मिल जाता है. इससे आपको अपनी विजेता शत्रु को सताने और परेशान करने का समय भी मिल जाता है. इससे आपको उसकी शक्ति के घटने का इंतजार करने का समय मिल जाता है. उसे युद्ध में जितने ना दें इससे पहले ही उसके सामने समर्पण कर दें. दूसरा गाल आगे करके आप उसे परेशान और विचलित कर देते हैं. समर्पण का प्रयोग शक्ति के औजार के रूप में करें. अधिक शक्तिशाली विरोधी के सामने जब आपकी हार तय हो तो अक्सर भागने के बजाय समर्पण करना ज्यादा अच्छा होता है. क्योंकि भागने से आप कुछ समय के लिए तो बच सकते हैं लेकिन आपका विरोधी आपको अंततः  पकड़ ही लेगा. इसके बजाय अगर आप समर्पण कर देते हैं तो आपको अपने दुश्मन के आस-पास रहने का मौका मिलेगा और आप मौका मिलते ही उस पर अपने जहरीले दांत गढ़ा सकते हैं.

उदाहरण के लिए 473 ईस्वी पूर्व में प्राचीन चीन में फुजियो के युद्ध में वू के शासक ने यू के राजा गुजियन को बुरी तरह हरा दिया. गुजियन भागना चाहता था लेकिन उसके सलाहकार ने उसे यह सलाह दी कि वह समर्पण कर दें और वू के शासक की सेवा करें, ताकि वह सोच विचार करके बदला लेने की योजना बना सके. उसकी सलाह पर अमल करते हुए गुजियन ने वू के शासक को अपनी सारी संपत्ति दे दी और राजा के अस्तबल में सेवक का काम करने लगा. 3 साल तक वह वू के शासक के सामने झुकता रहा.

आखिरकार वू के शासक को उसकी वफादारी पर भरोसा हो गया और उसने उसे घर लौटने की इजाजत दे दी. बहरहाल गूजियन ने इन 3 सालों में बहुत सी जानकारी इकट्ठी कर ली थी और बदले की योजना बना ली थी. जब राज्य में भयंकर सूखा पड़ा और आंतरिक उथल-पुथल के कारण राज्य कमजोर पड़ गया तो गुजियन ने सेना इकट्ठी की और वू पर हमला करके उसे आसानी से जीत लिया. इसलिए समर्पण में शक्ति है. इससे आपको जबरदस्त प्रतिशोध की योजना बनाने का समय मिल जाता है. अगर गुजियन  भाग गया होता तो उसे यह मौका कभी नहीं मिलता.

यहां पर Author आपसे कहते हैं कि तुमने यह कहावत सुनी होगी, आंख के बदले आंख, दांत के बदले दांत. लेकिन मैं तुमसे कहता हूं कि तुम बुराई का प्रतिरोध मत करो, बल्कि जो तुम्हारे दाएं गाल पर मारे, उसकी तरफ बाया गाल भी कर दो और अगर कोई आदमी तुम पर मुकदमा करके तुम्हारा कोर्ट ले ले, तो तुम उसे अपनी चादर भी दे दो और अगर कोई तुम्हें एक मील चलने के लिए मजबूर करें तो तुम दो मील तक चलो.


3.
खुद को नए सांचे में ढालें-  समाज मे लोग आपको किस नज़र से देखते है इस पर ध्यान न दे. अपने टेलेंट को पहचाने और एक नई पहचान बनाकर खुद को नए सांचे में डालें. अपनी एक ऐसी पहचान बनाए जिसकी तरफ लोगों का ध्यान जाए और वह आपसे कभी न ऊबे. दूसरों की बनाई छवि के हिसाब से जीने से बेहतर है कि आप अपनी छवि खुद बनाएं. अपने सार्वजनिक कार्यों और मुद्राओं में नाटकियो तरीकों का प्रयोग करें. इससे आपकी शक्ति बढ़ेगी और आपका कद जिंदगी से बड़ा नजर आएगा.

Author कहते है कि समय की मांग के अनुसार भूमिका निभाना सीखें. अपनी नकाब को स्थिति के अनुसार ढाले. जो चेहरा आप ओढ़े, उसे हर पल बदलने का अभ्यास करे. उदार वादियों के साथ उदारवादी बने और धोखेबाजो के साथ धोखेबाज. विद्वानों के बीच विद्वान बने, संतो के बीच संत. यह सब का दिल जीतने की कला है समान लोग समान लोगों को आकर्षित करते हैं. स्वभाव पर ध्यान दें और जिस से भी मिले उसके अनुरूप ढल जाए. गंभीर या मजाकिया व्यक्तियों की बातों का उन्हीं के अंदाज में जवाब दें. अपने मूड को समझदारी से बदल दें.


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