जानिए एक ही गोत्र में शादी करने से क्या नुकसान होते हैं.
समाज में रहने वाला हर इंसान शादी के लिए उचित वर या वधु
चाहता है. इसके लिए जरूरी है कि वर वधु के गुणसूत्र एक दूसरे से भिन्न हो. वैसे तो
हिंदू धर्म के अंदर एक ही गोत्र के अंदर शादी करना वर्जित माना गया है. क्योंकि एक
ही गोत्र के लड़का और लड़की भाई और बहन होते हैं.क्योंकि उनके पूर्वज किसी समय एक
ही गोत्र में पैदा हुए थे. इसलिए इन दोनों का विवाह भी शास्त्रों के अनुसार गलत है.
यदि हम वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखें एक ही गोत्र में शादी
करने से बहुत से नुकसान उठाने पड़ते हैं. एक ही गोत्र के लड़का या लड़की से
उत्पन्न होने वाली संतान में कई बार बीमारियां पैदा हो जाती है.ऐसी बीमारियां उनके
आनुवांशिक गुणसूत्रों के मिलने के कारण होती हैं. कई बार हमारे पूर्वजों में से
किसी को कोई बीमारी होती है तो गुणसूत्रों की समानता के कारण वह बीमारी बच्चों में
भी अनुवांशिक रूप से पाई जाती है. एक सर्वे के अनुसार पता चला है कि जिन लोगों ने
एक ही गोत्र में शादी की है. उनके शादी करने के बाद वैवाहिक जीवन ठीक से नहीं चल
पाया. उनके गुणसूत्र एक दूसरे से मिलने के कारण उनकी पैदा होने वाली संतान अपंग
अथवा मानसिक रोग से पीड़ित पैदा हुई है.
शास्त्रों के अनुसार शादी करते समय हमें कुछ गोत्रो को
ध्यान में रखकर शादी करनी चाहिए. हमें अपने माता- पिता और दादी का गोत्र को छोड़कर
ही शादी करनी चाहिए. क्योंकि यदि हम इन गोत्रों में शादी करते हैं तो हमारे
गुणसूत्र कहीं ना कहीं हमारे पूर्वजो के गुणसूत्रों से मिल जाते हैं. जिससे हमारा
आने वाला वैवाहिक जीवन कई मुश्किलों मे पड़
सकता है.
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