फ़िक्स्ड डिपॉज़िट के फायदे और नुकसान
दोस्तो लोग अपने पैसे पर अधिक ब्याज पाने के लिए फ़िक्स्डडिपॉज़िट मे रखते है। यह अच्छी बात है क्योंकि यदि आप अपने पैसे को सैविंग अकाउंट रखते
है तो आपको केवल सालाना 4% तक ब्याज मिलता है। जबकि फ़िक्स्ड डिपॉज़िट मे आपको
सालाना 7 से 8% तक का ब्याज आसानी से मिल जाता है।
लेकिन फ़िक्स्ड डिपॉज़िट के जहा कुछ फायदे होते है वही
फ़िक्स्ड डिपॉज़िट के कुछ नुकसान भी होते है। जिन्हे जानना आपके लिए बहुत जरूरी है।
इस विडियो मे हम फ़िक्स्ड डिपॉज़िट के सभी फ़ायदो और नुकसान के बारे मे बात करेंगे।
दोस्तो आप जब भी फ़िक्स्ड डिपॉज़िट करते हैं तो बैंक के
द्वारा आपको पहले ही बता दिया जाता है कि आपके फिक्स अपोजिट पर क्या रेट ऑफ
इंटरेस्ट दिया जाएगा। सामान्यतः आपको फ़िक्स्ड डिपॉज़िट पर 7 से 8% तक का ब्याज
मिलता है।
लेकिन आप एक बात को आप हमेशा ध्यान रखें कि महंगाई भी हर
साल बढ़ती है और यह महंगाई आपके पैसे की वैल्यू को कम कर देती है। यदि आज आप किसी सामान
को 1000 रुपये में खरीद रहे हैं लेकिन वही समान को जब आप अगले साल 1000 रुपये मे
खरीदते है तो उस समान की quantity कम हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है
क्योंकि उस समान की कीमत बढ़ चुकी होती है।
आपके पैसे तो वहीं रहते हैं लेकिन उनका मूल्य कम हो जाता है।
साल 2012-14 मे एक्सपर्ट के अनुसार महंगाई की दर में 8% की बढ़ोतरी की गई थी। उस
समय यदि फ़िक्स्ड डिपॉज़िट पर 8.5% की दर से ब्याज दिया जा रहा था तो आप केवल 0.5%
ही एक्स्ट्रा प्राप्त रहे थे। जो कि बहुत ही कम है क्योंकि आपका पैसा महंगाई को
टक्कर नहीं दे पा रहा है।
जब हम अपना पैसा फ़िक्स्ड डिपॉज़िट के अंदर रखते हैं तो हम
सोचते हैं कि हमारा पैसा बढ़ रहा है लेकिन प्रतिवर्ष महंगाई भी बढ़ती रहती है। जिससे
पैसे की वैल्यू कम हो जाती है। महंगाई की तुलना में बैंक के द्वारा दिए गए ब्याज
की दर बहुत ही कम होती है।
उद्धारण के लिए आपको साल 2012-14 में फिक्स डिपॉजिट पर 8.5%
तक का सालाना ब्याज मिल रहा था। लेकिन उस समय महंगाई 8% बढ़ी थी और किसी कारण से
आपको एफडी बीच में ही तोड़ने पड़ती तो बैंक
पैनल्टी के रूप मे आपसे 1% चार्ज करता। जिससे आपके द्वारा कराये गये फ़िक्स्ड
डिपॉज़िट की दर 7.5 ही रह जाती है।
अब यहां पर आप देखिए कि फिक्स डिपोजिट पर आपको 7.5% के रेट
से इंटरेस्ट तो मिल रहा है लेकिन महंगाई 8% है तो इस हिसाब से आप 0.5% नुकसान में
है।
इसमें एक बात और ध्यान देने योग्य है कि FD पर
आपको जो ब्याज मिलता है वह टैक्सेबल होता है। उस ब्याज को भी हमें इनकम के अंदर जोड़ना होता
है। यदि हमारा एफडी पर सालाना 40000 रुपये से अधिक का ब्याज बनता है तो उस पर भी
हमे 10% टैक्स देना पड़ता है।
उदाहरण के लिए अब मैं आपके सामने सोने की कुछ कीमतों की
लिस्ट दिखाऊंगा। जिसे देखकर आप एकदम चौक जाएंगे।
इस लिस्ट मे आप देख सकते है कि 10 ग्राम सोने की कीमत प्रति
वर्ष बढ़ रही है। साल 1991 मे सोने की कीमत 3466 और 1992 में 4334 हो गई। फिर 1993
में 4140 और 1994 में 4598 और 1995 में 4680 और इस प्रकार यह कीमते बढ़ते बढ़ते साल
2011 तक 26400 तक पहुंच गई।
अब यदि हम साल 2008 से महंगाई के हिसाब से सोने की कीमतों की
दर निकाले तो हम यहां पर पाते है कि साल 2008 में सोने की कीमत 12500 थी और साल
2009 में 14500 यानी कि एक साल मे 16% का बढ़ोतरी हुई।
फिर 2010 में सोने की कीमते 14500 से बढ़कर 18500 हो जाती है
यानिकी 27.58% बढ़ जाती है।
इसके बाद 2011 में सोने की कीमते 18500 से बढ़कर 26400 तक
पहुंच जाता है। यानिकी सोने की कीमते 42.70%
तक बढ़ जाती है।
जबकि बैंक के द्वारा आपको केवल सालाना 8.5% तक का ब्याज मिल
रहा था। जबकि सोने की कीमते प्रति वर्ष तेजी से बढ़ रही थी। इस हिसाब से देखें तो फ़िक्स्ड
डिपॉज़िट में रखे हुए पैसे पर मिलने वाली ब्याज़ दर बहुत ही कम है और आप नुकसान में
जा रहे थे। फ़िक्स्ड डिपॉज़िट पर मिलने वाली ब्याज की दर महंगाई की दर को
टक्कर नहीं दे पाती है। जिस कारण आपके पैसे
की कीमत प्रति वर्ष कट रही थी।
यही कारण है कि अनुभवी निवेशक अपने पैसे को फ़िक्स्ड डिपॉज़िट
में लगाने की बजाय शेयर्स और म्यूचुअल फंड में लगाते हैं। जहां पर उनको अच्छे
रिटर्न्स मिल जाते है।
लेकिन यहाँ पर आपको एक बात पर विशेष ध्यान देना है कि शेयर्स
और म्यूचुअल फंड पर मिलने वाले रिटर्न्स कभी भी निश्चित नही होते है। यहाँ पर पैसा
लगाने मे जोखिम होता है। दूसरा यहा पर आपको पैसा इन्वेस्ट करने के बाद एक लंबा समय
जैसे 6 से 10 साल तक इंतजार करना होता है। तभी आपको अच्छे रिटर्न्स मिलते है।
एक्सपर्ट के अनुसार शेयर्स की बजाय म्यूचुअल फ़ंड मे रिस्क
कम होता है। क्योंकि वहाँ पर आपका पैसा अनुभवी फंड मैनेजर के द्वारा इन्वेस्ट किया
जाता है। यदि आप किसी लॉन्ग टर्म इक्विटि फ़ंड मे 8 से 10 साल तक पैसा लगाते है तो
आपको 25 से 30% तक के रिटर्न्स मिलने की सम्भावनायें होती है।
लेकिन यदि इस समय आप अभी नुकसान उठाने की स्थिति में नहीं
है अथवा आपकी उम्र भी इतनी है कि आप लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकते हैं तो आप
फिक्स डिपाजिट में ही इन्वेस्ट करते रहिए। क्योंकि यहां पर आपको एक निश्चित दर से ब्याज
मिलता रहता है और आपके लगाए पैसे पर कोई जोखिम भी नही होता है। एक बार जो भी ब्याज
दर तय हो जाती है। वह आपको अंत समय तक मिलती है।
लेकिन यदि आपकी फाइनेंसियल स्थिति अच्छी है और आप नुकसान
उठाने की कुछ क्षमता भी रखते हैं और आपके पास काफी समय भी है तो आप म्यूचुअल फंड
में इन्वेस्ट कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड में आपको लंबे समय तक इन्वेस्ट करने पर
अच्छे रिटर्न्स मिलते हैं। हालांकि म्यूचल फंड में रिस्क होता है। वहां पर आपको
रिटर्न्स की कोई निश्चित गारंटी नहीं होती है। क्योंकी म्यूचल फंड का रिटर्ंस घटता
बढ़ता रहता है। लेकिन यदि आप किसी अनुभवी ब्रोकर की मदद से लॉन्ग टर्म इक्विटि फ़ंड
को लेते है तो लम्बे समय मे आपको म्यूचुअल फंड से फ़िक्स्ड डिपॉज़िट की तुलना मे
ज्यादा रिटर्न्स मिल जाते है।
यदि आप म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना चाहते हो तो आप किसी
म्यूचल फंड एक्सपर्ट को हायर कर सकते हैं। लेकिन एक बात का हमेशा ध्यान रखें म्यूचल
फंड में लंबे समय तक इन्वेस्ट करने पर ही आपको अच्छे रिटर्न्स प्राप्त होते हैं। जल्दबाजी
मे बिना किसी एक्सपर्ट की सलाह के म्यूचल फंड मे इन्वेस्ट न करे। आपको नुक्सान भी
हो सकता है। यदि आप इस बारे मे मुझ से कुछ पूछना चाहते है तो कॉमेंट कर सकते है।
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