दोस्तों हम सभी लोग भगवान राम की पूजा करते हैं. क्योंकि भगवान राम ने
पाप का अंत करके धरती को पाप मुक्त बनाया था. जब भी कभी हम भगवान राम का नाम लेते हैं तो साथ में रावण का नाम भी याद आता है. रावण एक राक्षस होने के साथ विद्वान पंडित था. उसने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न
किया था. ब्रह्मा जी से उसने
ऐसे वरदान प्राप्त कर लिए थे जिससे वह अजय हो गया था. उसको कोई भी देव, दानव, किन्नर आदि नहीं मार सकते थे. इसलिए भगवान विष्णु को नर रूप मे राम का अवतार लेकर धरती पर प्रकट होना
पड़ा.आपने रामायण में एक चीज देखी होगी कि जब रावण सीता को उठाकर ले जाता है तो
भगवान राम सीता की खोज में लंका पर चढ़ाई करते हैं और रावण का वध करके सीता को मुक्त करते हैं. लेकिन
आपने यह भी ध्यान किया होगा कि माता सीता वास्तव में देवी लक्ष्मी का अवतार थी.
उनको उठाना किसी के बस की बात नहीं है. इसलिए सीता हरण से पहले भगवान राम ने अग्नि देव का आह्वान किया.उसके बाद उन्होंने माता सीता को अग्निदेव के
हवाले कर दिया और सीता की छाया को प्रकट किया.
भगवान राम को यह पहले से ही मालूम था कि रावण का आगमन होने वाला है. इसलिए वह हिरण का
शिकार करने के लिए जंगल में चले गए. सीता को अकेला देख रावण सीता को उठाकर ले गया.
वास्तव में रावण जिस सीता को उठाकर ले जा रहा था. वह वास्तविक सीता नही
थी.वह तो सीता की छाया थी. यदि रावण के द्वारा असली सीता को छुने की चेष्टा भी की जाती तो वह जलकर राख
हो जाता.
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भगवान राम ने यह सब लीला रावण का वध करने के लिए की
थी. रावण का वध करने के बाद सीता को लंका से मुक्त कराया गया और सीता की अग्नि
परीक्षा के बहाने सीता की छाया अग्नि में चली गई और वास्तविक सीता अग्नि से बाहर आ
गई. भगवान ने यह सारी लीला लोगों को दिखाने के लिए की थी.वास्तव में उन्हें सीता
की अग्नि परीक्षा की कोई आवश्यकता ही नहीं थी. क्योंकि वह अपनी दिव्य दृष्टि से
सीता को हमेशा देखा करते थे.
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