Sunday 21 January 2018

फरीदाबाद मे एक बंदरिया के मासूम बच्चे की मौत ने वहा पर सभी लोगो को हैरान कर दिया

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फरीदाबाद मे एक बंदरिया के मासूम बच्चे की मौत ने वहा पर सभी लोगो को हैरान कर दिया 

हमारे जीवन में बहुत सी ऐसी घटनाएं होती हैं.जो हमें यह मानने पर मजबूर कर देती हैं कि दुनिया में यदि कोई ऐसी शक्ति है. जिसके ऊपर यह सृष्टि चलती है तो वह प्रेम है.इस प्रेम का जीता जागता उदाहरण कल फरीदाबाद बाटा स्टेशन के पास देखा गया है. जहां पर एक बंदरिया कुत्ते के पिल्ले को अपनी गोद में उठाकर उसे अपने बच्चे की तरह से प्रेम कर रही थी.

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उसे देखकर ऐसा लगता था मानो यह पिल्ला उसका अपना बच्चा हो.जब वहां पर इकट्ठे हुए लोगों से पूछा कि यह क्या माजरा है तो लोगों ने बताया इस बंदरिया का  बच्चा सड़क हादसे में एक कार के नीचे आकर मर गया. जब इस बंदरिया ने अपने मरे हुए बच्चे को वहां पर देखा तो यह अपना मानसिक संतुलन खो बैठी और वहां पर घंटों बैठकर रोती रही. जब रोड पर आते जाते लोग इसे देखते थे तो लोग बहुत दुखी होते थे.इस धरती पर माँ  का दर्जा सबसे ऊंचा माना गया है.माँ चाहे इंसानों की हो अथवा जानवरों की उसके अंदर ममता का अथाह सागर होता है. कोई भी मां अपने बच्चे की मौत को देखकर मानसिक संतुलन खो सकती है. यही इस बंदरिया के साथ भी हुआ बीच रोड में जब यह आपने मृतक बच्चे के पास बैठ कर रो रही थी तो रोड पर जाम की स्थिति हो गई. किसी प्रकार से इसको वहां से हटा दिया गया और इसके बच्चे को उठाकर दफनाने के लिए एक दूसरी जगह पर ले जाया गया.जब इसके बच्चे को उठाकर वहां से ले जाया जा रहा था. यह बंदरिया भी रोते हुए साथ में चल रही थी. यह नजारा बड़ा मर्मस्पर्शी था. कई लोगों की आंखों से आंसू भी आ गए.



उसके बाद इस बंदरिया का मानसिक संतुलन इस प्रकार बिगड़ा कि यह एक पिल्ले को उठाकर अपने बच्चे की तरह प्यार कर रही है और उसे अपना बच्चा समझ रही है.इस पिल्लै को एक पल के लिए भी अपने से दूर नहीं कर रही है.इसे देखकर हर एक व्यक्ति हैरान है. लेकिन इससे एक बात तो समझ में आती है कि जिस प्रकार हम सभी अपने बच्चों से प्यार करते हैं और जब हम घर से बाहर जाते हैं तो हमारे पीछे हमारे घर वाले हमें याद करते हैं. उसी प्रकार जानवर भी अपने बच्चों से प्रेम करते हैं और इनके प्रियजनों की मौत पर इन्हें भी दुख होता है.इसलिए जब भी कभी बाहर जाए तो कृपया अपनी गाड़ी को धीरे चलाएं जिससे कोई मासूम जानवर उसके नीचे आकर ना मारे. जैसे हमारे घर से जाने के बाद हमारे घरवाले हमें याद करते हैं. उसी प्रकार इन जानवरों को भी इनके घर पर कोई याद करता है. जिंदगी सभी की कीमती है आपके 5 मिनट जल्दी पहुंच जाने से शायद आपको इतना अधिक लाभ ना हो. लेकिन यदि आपके 5 मिनट लेट पहुंच जाने से किसी मासूम जानवर की जान बच जाती है. तो आपको बहुत पुण्य मिलेगा.

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