Friday 28 February 2020

अमीर बनने के लिए इस नियम को समझे


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अमीर बनने के लिए इस नियम को समझे 


दोस्तों इस पोस्ट में हम सीखेंगे कि अमीर लोग क्यों लगातार अमीर होते जा रहे हैं. गरीब और मध्य वर्ग के लोग क्यों अपने जीवन स्तर से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं.  डॉ. रॉबर्ट कियोसाकी अपनी BOOK RICH DAD POOR DAD मे बताते हैं. गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को पैसे की सही समझ ना हो पाने के कारण वह गरीबी रेखा से ऊपर नहीं उठ पाते हैं। ज्यादातर लोग जिंदगी भर यह नहीं समझ पाते कि असल बात यह नहीं कि आप कितना पैसा कमाते हैं बल्कि यह है कि आप कितना पैसा बचा पाते हैं।  

हमने लॉटरी जीतने वाले उन गरीब लोगों की कहानियां सुनी हैं जो अचानक अमीर बन जाते हैं। परंतु कुछ समय बाद वह फिर से गरीब हो जाते हैं। यह लोग लाखों करोड़ों जीतते हैं लेकिन फिर भी लौट कर वहीं आ जाते हैं जहां से उन्होंने शुरू किया था। आपने उन व्यवसाय एथलीट्स की कहानियां भी पढ़ी होंगी जो 24 साल की उम्र में हर साल करोड़ों डॉलर कमाते हैं और 34 साल की उम्र में उन्हें पुल के नीचे सोना पड़ता है। उनके पास पैसा होने के बावजूद भी वह पैसा उनके पास ज्यादा समय तक नहीं टिक पाता है।

इसका सिर्फ एक ही कारण होता है कि लोग अपने जीवन में अक्सर संपत्ति की जगह दायित्व खरीदते रहते हैं। जिसके कारण वह गरीब हो जाते हैं। अब आपको बताते हैं कि संपत्ति और दायित्व में क्या फर्क होता है।

“ संपत्ति वह होती है जो आपकी जेब में पैसा डालती है और दायित्व वे खर्च होते हैं जो आपकी जेब से पैसा बाहर निकालते हैं ”  

लोग संपत्ति इक्कट्ठी करते हैं। गरीब और मध्यमवर्गीय लोग दायित्व इक्कट्ठे करते हैं और मजे की बात यह है कि उन लोगों को यह लगता है कि वह संपत्ति इकट्ठी कर रहे हैं। यदि आपको अमीर बनना है तो आप जिंदगी भर संपत्ति खरीदते रहिए।

अगर आप गरीब और मध्यम वर्गीय बनना चाहते हैं तो आप दायित्व खरीदते रहिए। 

आइए इस बात को एक उदाहरण से समझते हैं। जब मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों के पास पैसा आता है अथवा उनकी आमदनी बढ़ती है तो उनके खर्चे भी बढ़ने लगते हैं। अब वह किराए के मकान में रहने की बजाय अपना मकान खरीदना पसंद करते हैं। इस प्रकार से अपने घर में पहुंच जाते हैं और उन पर एक नए टैक्स का बोझ आ जाता है जिसे प्रॉपर्टी टैक्स कहते हैं। फिर वह लोग एक नई कार खरीदते हैं। उसके बाद नया फर्नीचर और नया सामान खरीदते हैं ताकि उनका घर आलीशान लगे। कही घूमने जाते है, मौज मस्ती करते है। महंगे कपड़े और महंगे मोबाइल खरीदते है। कई बार इन सब चीजों को खरीदने के लिए EMI या बैंक लोन भी लेते है। अचानक वे सपने से जागते हैं और देखते हैं कि उनके दायित्व यानिकी खर्चो  का कॉलम बढ़ गया है और वह कर्ज में है। अब उन्हें बहुत से लोन और क्रेडिट कार्ड के बिल चुकाने हैं।

तभी उनके पास पड़ोसी आते हैं और उन्हें शॉपिंग पर चलने का न्योता देते हैं और बताते हैं कि सेल लगी हुई है और वहां पर सस्ता सामान मिल रहा हैवह अपने आप से कहते हैं कि मैं कुछ नहीं ख़रीदूँगा। क्योंकि मेरे ऊपर तो पहले ही काफी कर्जा है। मैं तो सिर्फ देखने जा रहा हूं। परंतु अगर कोई चीज जम जाए तो उसे खरीदने की उम्मीद में वे अपने क्रेडिट कार्ड को ले जाना नहीं भूलते।  
उनकी खर्चीली आदत ने उन्हें और ज्यादा कमाने के लिए मजबूर कर दिया है। 

अपने खर्चो को मेंटैन करने के लिए रोजाना नौकरी पर जाते है पार्ट टाइम करते है। वे इतना भी नहीं जानते कि दरअसल समस्या पैसे कमाने की नहीं है पैसा सही तरह से खर्च करने की है और यही पैसे की तंगी का कारण है। यह समस्या इसलिए पैदा होती है क्योंकि वह संपत्ति और दायित्व के फर्क को नहीं समझते। जाने अनजाने में वे संपत्तियों की जगह दायित्व खरीदते रहते हैं। इस प्रकार गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार कर्ज के दलदल में फंसते चले जाते है।

यहां पर डॉ रॉबर्ट आपको सलाह देते हैं कि यदि आप किसी खड्डे में फंसे हुए हैं तो खड्डे को खोदना बंद कर दो। उसी प्रकार यदि आप कर्ज में फंसे हुए हैं तो खर्चे कम कर दो ”

अमीर लोग और ज्यादा अमीर इसलिए बनते हैं क्योंकि उनके संपत्ति वाले कॉलम में इतनी ज्यादा आमदनी होती है कि खर्च आराम से चल जाता है और कुछ पैसा बच भी जाता है। इस बचे हुए पैसे को एक बार फिर से संपत्ति वाले कॉलम में दोबारा इन्वेस्ट कर दिया जाता है। संपत्ति वाला कॉलम बढ़ता जाता है और उस संपत्ति से होने वाली आमदनी भी बढ़ती रहती है। नतीजा अमीर लोग और ज्यादा अमीर होते जाते हैं।  

मध्य वर्ग के लोग हमेशा पैसों की तंगी से जूझते रहते हैं। उनकी मूल आमदनी तनख्वाह से होती है और जैसे-जैसे उनकी तनख्वाह बढ़ती है। उनके खर्चे और टैक्स भी बढ़ते जाते हैं। इसलिए से चूहा दौड़ कहा गया है।

गरीब और मध्यमवर्गीय सोसाइटी के दिमाग मे यह बात बैठ गई है की तनख्वाह बढ़ने पर खर्च भी बढ़ना चाहिए। तनख्वाह बढ्ने पर ऐशों आराम की चीजे खरीदनी चाहिए। इस बढ़ते हुए खर्च के कारण परिवार ज्यादा कर्ज में फंस जाते हैं और उन्हें पैसे की ओर ज्यादा तंगी का सामना करना पड़ता है। हालांकि वे अपनी नौकरी कर रहे हैं और उनकी सैलरी भी बढ़ रही है । लेकिन फिर भी उनकी पूर्ति नही हो रही है। इसका कारण यह है कि ऐसे लोगों में पैसे की समझ का न होना।

जबकि होना तो यह चाहिए कि जब आपकी तनख्वाह बढ़े तो आपको इन बढ़े हुए पैसो को इनवेस्टमेंट मे लगाये । ताकि आपका यह पैसा और अधिक बढ़े जिससे संपत्ति वाले कॉलम मे इजाफा हो। जैसे जैसे आप थोड़ी थोड़ी इंवेस्टमेंट बढ़ाते जाएंगे आप पहले से अधिक पावरफूल हो जायेंगे और कुछ सालो की इंवेस्टमेंट के बाद आप एक अच्छा खासा अमाउंट अपने पोर्टफोलियो मे बना लेते है।

दूसरा जब भी आप किसी चीज को खरीद रहे हो तो अपने आप से यह पूछे कि क्या मैं संपत्ति खरीद रहा हूँ या दायित्व खरीद रहा हूँ । यदि आप अपने जीवन मे संपत्ति वाले कॉलम मे इजाफ़ा कर रहे है तो यह आपके आने वाले समय मे अमीर होने के संकेत है।

लेकिन यदि आप केवल दिखावे या मौज मस्ती के लिये अनचाहे दायित्वों यानिकी खर्चो को जीवन मे ला रहे है तो आप हमेशा गरीब ही रहेंगे।            

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