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राजस्थान में बेटियों ने पिता को मुखाग्नि दी तो पंचायत ने गांव से बाहर कर दिया
राजस्थान के बूंदी शहर में चार बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर मुखाग्नि दी.लड़कियों का इस प्रकार से पिता को कंधा देना समाज के ठेकेदारों को पसंद नहीं आया और उन्होंने पंचायत मे यह फैसला किया की इस परिवार को गांव से बाहर किया जाए.दरससल यह सब कुछ वहां के अनपढ़ लोगों के अंधविश्वास के कारण हो रहा है. अनपढ़ लोग आज भी पुराने रीति रिवाज और रूढ़ियों से बंधे हुए हैं. ऐसे लोग समाज में किसी भी प्रकार के नए परिवर्तन को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं.
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प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव के एक व्यक्ति जिसकी चार बेटियां थी. उसका कोई बेटा नहीं था. पिता की आखिरी इच्छा यह थी कि उसकी मृत्यु के बाद दाह संस्कार बेटियों के द्वारा ही किया जाए. पिता की इच्छा पूर्ति के लिए बेटियों ने पिता की अर्थी कंधा दिया और विधि पूर्वक मुखाग्नि दी. जब बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि दी तो उसके बाद गांव के लोगों ने बेटियों को गांव के स्नान परिसर में स्नान करने से रोक दिया.
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क्योंकि गांव के लोगों के अनुसार बेटियों का पिता को मुखाग्नि देना वहां के रीति रिवाजों के खिलाफ था. इसके बाद गांव के लोगों ने पंचायत में यह फरमान जारी किया की बेटियों को गांव से बाहर किया जाए. टाइम्स ऑफ इंडिया के इंटरव्यू में बड़ी बेटी मीना ने बताया की हमारे पिताजी की इच्छा थी कि हम उन्हें मुखाग्नि दें. हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम पिता की इच्छा को पूरी करें. हमें ऐसा कुछ भी गलत नहीं लगता है जिससे गांव वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचे. परंतु यदि गांव वालों को हमारा ऐसा करना पसंद नहीं है. तो हमें भी गांव में ऐसे लोगों के बीच रहना पसंद नहीं है.
दोस्तों आपको क्या लगता है कि गांव की पंचायत का यह फैसला सही है.वैसे तो हम सब बेटियों को बराबर दर्जा देने का बखान करते हैं. क्या बेटियों के इस कारनामे को हमें सराहनीय नजरों से देखना चाहिए अथवा दोषपूर्ण नजरों से. गांव की पंचायत के फैसले के बारे में कमेंट करके आप अपने विचार जरुर व्यक्त करें.
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