रामायण हमारे हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है. जिसमें भगवान राम की महिमा का वर्णन किया गया है. भगवान राम के साथ
में उनके छोटे भाई लक्ष्मण के असीम प्रेम से पूरे संसार को प्रेरणा मिलती है कि जब
बड़ा भाई कष्ट में होता है तो छोटा भाई उसके लिए अपना सुख त्याग कर उसकी मदद करने
के लिए सबसे पहले आगे आता है. रामायण में भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था. अपने बड़े भाई को कष्ट
में देखकर छोटे भाई लक्ष्मण ने राज महल का सुख त्याग कर उनके साथ जंगल में जाना
स्वीकार किया था. वह भी अपने बड़े भाई के साथ जंगलों में 14 वर्षों तक रहे थे. रामायण के अनुसार भगवान विष्णु
ही श्री राम का अवतार लेकर धरती पर अवतरित हुए थे. उनके साथ में शेषनाग ने जाने की
विनती की थी.तब भगवान विष्णु ने शेषनाग को लक्ष्मण का अवतार लेने का वरदान दिया था.
लेकिन
महाभारत काल के समय में जब भगवान विष्णु धरती पर श्री कृष्ण के रूप में अवतरित
होने वाले थे.उस समय शेषनाग भगवान विष्णु के पास आए और उनसे बोले कि मैं धरती पर
आपके साथ बड़े भाई के रूप में अवतरित होना चाहता हूं. तब भगवान विष्णु ने कहा कि
आप बड़े भाई के रूप में अवतरित क्यों होना चाहते हैं. तब शेषनाग ने कहा कि आप रामायण
के समय में मेरे बड़े भाई थे. उस समय बड़े भाई की आज्ञा मानना मेरे लिए आवश्यक था.
जब भी कभी आप जंगल में जाते थे तो आपके पैरों में कांटे चुभते थे. जिससे आपके
पैरों से खून बहने लगता था. यह देखकर मुझे बहुत दुख होता था. लेकिन मैं छोटा भाई
था इसलिए मैं आप को रोक नहीं पाता था. इसलिए इस अवतार में मैं बड़े भाई के रूप में
जन्म लेना चाहता हूं ताकि मैं आपको ऐसे कष्टों मे जाने से रोक सकू.यह बात सुनकर
भगवान विष्णु को बहुत खुशी हुई. तब भगवान विष्णु ने उन्हें बड़े भाई के रूप में
धरती पर जन्म लेने का वरदान दे दिया. इसके बाद शेषनाग ने धरती पर बलराम के रूप में
अवतार लिया.बाद में यही बलराम श्री कृष्ण भगवान के बड़े भाई के रूप में प्रसिद्ध
हुए.
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ReplyDeletenice post bro
Thanks
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