MAHABHARAT |
जानिए महाभारत में पितामह भीष्म शक्तिशाली होते हुए भी अर्जुन के हाथों क्यों मारे गए
आप सभी ने महाभारत में देखा होगा कि पितामह भीष्म बहुत शक्तिशाली थे. उन्हें गंगापुत्र भी कहा जाता था. उनको यह वरदान मिला हुआ था कि वह जब तक चाहे जीवित रहे. वह अपनी इच्छा अनुसार अपनी मृत्यु पा सकते थे. यदि उनके पराक्रम की बात की जाए तो वह इतने शक्तिशाली थे कि युद्ध में उन्हें परास्त करना किसी के वश की बात नहीं थी. वह अकेले ही सारी पांडवों की सेना का विनाश कर सकते थे. लेकिन फिर भी अर्जुन के द्वारा पितामह भीष्म युद्ध में मारे गए. इसका वास्तविक कारण यह था पितामह भीष्म खुद चाहते थे कि अर्जुन उनका वध करें. क्योंकि जिस समय दुर्योधन ने जुए में पांडवों को हरा दिया था और द्रोपती का चीर हरण किया जा रहा था. उस समय पितामह भीष्म वहां चुपचाप बैठे थे. उनको इस बात का पछतावा था कि वह शक्तिशाली होते हुए भी उस दिन पांडवों और द्रौपदी के लिए कुछ नहीं कर सके थे. इसलिए उन्होंने अर्जुन से एकांत में कहा कि तुम मेरा वध कर दो. हालांकि मैं युद्ध में तुम्हारे साथ पूरी शक्ति के साथ लडूंगा.क्योंकि युद्ध करना मेरा क्षत्रिय धर्म है. लेकिन मैं किसी स्त्री पर शस्त्र नहीं उठाता हूं. इसलिए तुम शिखंडी को अपनी ढाल बनाकर मेरे सामने खड़े कर देना मैं अपने शस्त्र नीचे कर दूंगा. उसके बाद तुम सहजता से मेरा वध कर सकोगे.वास्तव में यह शिखंडी पूर्व जन्म में अंबा नाम की स्त्री के रूप में जन्मी थी. उस समय अंबा पितामह भीष्म से विवाह करना चाहती थी. लेकिन भीष्म ने उसका विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया था. इसी बात से क्रोधित होकर उसने कठोर तपस्या की थी ताकि वह पितामह भीष्म को मार सके. इसके बाद भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उसको यह वरदान दिया था कि तुम अगले जन्म में शिखंडी के रूप में जन्म लोगी और तब तुम पितामह भीष्म की मृत्यु का कारण बनोगे. इसी कारण शिखंडी अर्जुन की ढाल बनकर पितामह भीष्म के सामने खड़ा हो गया. पितामह भीष्म को पता था कि यह पिछले जन्म की अंबा है. इसलिए उन्होंने उस पर शस्त्र नहीं उठाया और अर्जुन ने इस अवसर का लाभ उठाकर पितामह भीष्म पर तीरो की बौछार कर दी.
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