रामायण हम सभी के लिए एक पवित्र ग्रंथ है. इसके अंदर श्री
रामचंद्र ने रावण और उसके कुटुंब का नाश करके धरती को पाप मुक्त बनाया था. धरती पर जब पाप अधिक होने लगता है तो भगवान किसी ने किसी ना किसी रूप में आकर
उसका नाश करते हैं. पापी कितना भी शक्तिशाली हो अंत में उसकी
हार ही होती है. ऐसा ही रामायण में हुआ था.आपने रामायण में देखा होगा कि रावण और उसका कुटुंब इतना शक्तिशाली था कि उनको
मारना किसी भी देवता, दानव और किन्नर के बस
की बात नहीं थी. क्योंकि उन्होंने घोर तपस्या करके ऐसे वरदान प्राप्त कर लिए थे
जिससे वे सभी राक्षस अजय हो गए थे.
मेघनाथ रावण का सबसे शक्तिशाली पुत्र था. उसने
घोर तपस्या करके भगवान शंकर को प्रसन्न कर लिया था. भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर
मेघनाथ को दिव्य अस्त्र प्रदान किए थे. मेघनाथ को ऐसी शक्तियां प्राप्त हो गई थी.
जिससे वह अदृश्य होकर भी मुकाबला कर सकता था.इन्ही शक्तियों के बल उसने देवराज
इंद्र को हराया था.जिससे उसका नाम इन्द्रजीत मेघनाथ पड़ा था.
लेकिन प्रकृति का एक नियम है कि जब भी कोई अधर्म का रास्ता बनाता है तो उसका
विनाश निश्चित होता है.भगवान शंकर ने मेघनाथ को वरदान देते समय कहा था कि जब भी
कभी तुम अधर्म का रास्ता अपनाओगे और किसी ऐसे ब्रह्मचारी से युद्ध करोगे जो कि 12 वर्ष तक जंगलों में रहा हो तो उसके सामने आते
ही तुम्हारे सारे शस्त्र विफल हो जाएंगे. इसलिए तुम अपने जीवन में यह बात ध्यान
रखना कि तुम्हें किसी भी ब्रह्मचारी से युद्ध नहीं करना है. जिस समय श्रीराम ने
लंका पर चढ़ाई की थी. रावण और उसका पूरा परिवार बौखला गया था. मेघनाथ यह भूल चुका
था कि भगवान शंकर ने उसे कहा था कि किसी भी ब्रह्मचारी के सामने तुम्हें नहीं आना
है. यही कारण था जब मेघनाथ लक्ष्मण से युद्ध करने के लिए आया तो भगवान शंकर के
कथनानुसार उसके सारे अस्त्र-शस्त्र विफल होने लगे.इसी कारण लक्ष्मण मेघनाथ का वध
करने में सफल रहे.
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