Friday 2 March 2018

जानिए मिथ्या साक्ष्य अथवा झूठा बयान देने पर कानून के अंतर्गत क्या कार्यवाही की जाती है

भारतीय दंड संहिता की धारा 191 में मिथ्या साक्ष्य देने के संबंध में यह प्रावधान किया गया है. जब कोई व्यक्ति शपथपूर्वक या कानून द्वारा किसी स्पष्ट उपबंध द्वारा सत्य कथन के लिए कानूनी तौर पर होते हुए भी या किसी मामले पर घोषणा करने के लिए कानून द्वारा बाध्य होते हुए भी ऐसा कथन करता है जो झूठा है और उसके झूठ होने का उनको ज्ञान या विश्वास नहीं है या जिसकी सत्यता पर उसे विश्वास नहीं है. तो यह कहा जाता है कि उसने झूठा साक्ष्य दिया है.
1.कोई कथन चाहे मौखिक हो या अन्यथा किया गया हो इस धारा के अंतर्गत आता है.
2.अनुप्रमाणित करने वाले व्यक्ति के अपने विश्वास के बारे में मिथ्या कथन इस धारा के अंतर्गत आता है और कोई व्यक्ति यह कहने से कि उसे इस बात का विश्वास है जिस बात का उसे विश्वास नहीं था यह कहने से कि वह उस बात को जानता है जिस बात को वह जानता नहीं ,मिथ्या साक्ष्य देने का दोषी हो सकेगा.
मिथ्या साक्ष्य अथवा झूठी गवाही के आवश्यक तत्व
1.किसी व्यक्ति का शपथ पर या अन्यथा सत्य कथन करने के लिए बाध्य होना- मिथ्या साक्ष्य देने का अपराध कारित होने के लिए किसी व्यक्ति का शपथ पर या विधि के किसी अभिव्यक्त उपबंध द्वारा सत्य कथन करने के लिए या किसी विषय पर घोषणा करने के लिए आबद्ध  होना आवश्यक है.
2.मिथ्या कथन करना- इसका दूसरा आवश्यक तत्व मिथ्या कथन करना है. यह आवश्यक नहीं है कि जिस मामले में वह साक्ष्य दिया जाए उस मामले के लिए वह मिथ्या साक्ष्य महत्वपूर्ण हो. इस धारा के शब्द के अत्यंत सामान्य है और उन्हें किसी प्रकार की सीमा निर्धारित नहीं की गई है कि दिया हुआ मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत मामले में प्रभावकारी होना चाहिए. \
उदाहरण 1.राम यह जानते हुए कि कोई विशेष हस्ताक्षर मोहन के नहीं है अपने कथन के मिथ्या होने का विश्वास करते हुए भी उन्हें मोहन के हस्ताक्षर बताता है राम मिथ्या कथन का दोषी है.
2. राम शपथ द्वारा सत्य कथन करने के लिए आबद्ध होते हुए यह कथन करता है कि वह यह जानता है कि एक विशिष्ट दिन एक विशिष्ट स्थान में था जब तक कि वह उस विषय में कुछ नहीं जानता राम मिथ्या साक्ष्य देता है.
मिथ्या साक्ष्य के लिए दंड - धारा 193 के अंतर्गत जो कोई किसी न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम से साक्ष्य मिथ्या साक्ष्य देगा या किसी न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से साक्ष्य मिथ्या साक्ष्य करेगा. वह 7 साल के लिए कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडित होगा और जो कोई किसी अन्य मामले में मिथ्या साक्ष्य देगा या मिथ्या साक्ष्य करेगा वह 3 वर्ष के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से दंडित होगा.

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