Friday, 20 October 2017

धनतेरस क्या है ,आईये जाने उस धनतेरस की विशेषता

बेंचना और खरीदना दोनों एक दूसरे के विपरीत हैं। इस लिहाज से भी अगर देखा जाय तो धनतेरस के दिन अगर वस्तुओं का खरीदना शुभ है. तब उनका विक्रय अशुभ निश्चित होना चाहिए. तब निश्चित ही खरीददारों की लम्बी लाइन बाजारों में लगनी चाहिये और लग भी रही है। शुभ और खुद के कल्याण के लिये ऐसा करना कोई बुरी बात नहीं है। लेकिन यहाँ पर सवाल यह पैदा होता है कि बेचेगा कौन .क्योंकि अगर खरीदना शुभ है तो बेचना अशुभ होगा, और कोई भी व्यक्ति अपना अशुभ नहीं चाहेगा. तब समाज में धनतेरस के दिन अराजकता की स्थित का निर्माण होना चाहिये.जनता सामान खरीदने के लिये बाजार की ओर जाए और व्यापारी दुकानों में ताला लगाकर वहाँ से भागे. क्योंकि दोनो को अपने-अपने शुभ की रक्षा करनी है। लेकिन यहाँ पर जो हो रहा है. वह बड़ा अजीबोग़रीब है. एक शुभ खरीद रहा है दूसरा अपना शुभ बेंच रहा है.
जब शुभ बेचने और शुभ खरीदने वालों का आकलन करने पर जो निष्कर्ष निकलता है. उससे यह साबित होता है कि शुभ बेंचने वाला ज्यादा सुखी होता है.शुभ-अशुभ के जंजाल में फँसे हुये लोगो को अंधविश्वास के जरिये धीरे धीरे मीठा जहर देकर लूटा जा रहा है. तुमसे बिना जरूरत की चीजें खरिदवाई जा रही है. तुमसे महँगी चीजें खरिदवाई जा रही है. तुम्हारा बजट बिगाड़ा जाता है. ताकि तुम कर्ज के दलदल में फँसो। जिसको तुम शुभ समझ रहे हो. यह तुम्हारा अन्धविश्वास  है. बचो इस ब्राह्मण-बनिया व्यापारी गठजोड से. धनतेरस पर एक रुपये भी बरबाद मत करो.किसी गरीब अथवा अपने कमजोर भाई बहन की उसी पैसे से मदद कर दो.ताकि इस दिन कोई भी धन को न तरसे.
इस पोस्ट से सम्बन्धित कमेन्ट जरुर करे और बतायें कि क्या आप सभी के लिए धनतेरस का क्या मतलब है. आप सभी को धनतेरस की शुभकामनायें .यह त्यौहार आप सभी के क लिए लाभकारी हो.

No comments:

Post a Comment

How to reconcile party ledger in excel